लोकतंत्र की विकृतियों से , हिंदू सदा ही हारा है ;
तुष्टीकरण इसी से उपजा , हिंदू हुआ बेचारा है ।
जातिवाद में हिंदू तोड़ा , नेता उल्लू सीधा करते ;
मजहब का वोट-बैंक ललचाता,इसीसे तृप्तिकरण भी करते
वोट-बैंक जब तक न होगा , हिंदू का कोई मोल न होगा ;
हर सरकार तुझे लूटेगी , तुझको कोई भाव न देगा ।
ऊपर से अब्बासी – हिंदू , कोढ में खाज बन गया है ;
जो भी अच्छा समय बचा था , समझो वो भी बीत गया है ।
गजवायेहिंद ये करवायेगा , हिंदू को जीने न देगा ;
हिंदू – मंदिर को तोड़ – तोड़कर , गलियारा बनवा देगा ।
मंदिर व विग्रह का दुश्मन , वन नेशन-वन गॉड कर रहा ;
धर्म-सनातन कुछ न जाने,सबके विश्वास की बात कर रहा ।
सबका विश्वास जाल – बट्टा है , हिंदू को ये फंसा रहा ;
सत्ता का इतना भूखा है , दिन-रात उसी में लगा रहा ।
मंदिर – मंदिर अब जायेगा , माथे त्रिपुंड लगायेगा ;
हिंदू को धोखा देने में , सारा जोर लगायेगा ।
पर मंदिर न मुक्त करेगा , जजिया भी बढ़वायेगा ;
दोयम दर्जा ही रहेगा हिंदू , जगह – जगह मरवायेगा ।
हिंदू क्षुद्र-स्वार्थ में फंसकर , सदा ही धोखा खाता खाया ;
पहले आक्रमणकारी आया , अब अब्बासी – हिंदू आया ।
अब्बासी-हिंदू-नेता के दिये में , वोट-बैंक का तेल है ;
“नोटा” से इस तेल को सोखो , अब करना ये खेल है ।
जहां-जहां अब्बासी-हिंदू , वहाँ-वहाँ “नोटा” करना है ;
दीपावली के प्रकाश-पर्व पर , हर-अंधियारा छंटना है ।
हिंदू-धर्म का “ग्रहण” कौन है ? नेता जो अब्बासी-हिंदू ;
इनका करो सफाया जड़ से , तभी बचेगा देश में हिंदू ।
वर्तमान जितने भी दल है , सब के सब हैं धर्म के द्रोही ;
मजहब के आगे पूंछ हिलाते , ऐसे ही हैं हिंदू – द्रोही ।
हिंदू ! इनसे करो किनारा , “इकजुट-भारत” ले आओ ;
जम्मू में है “इकजुट-जम्मू”, ” इकजुट-भारत” इसे बनाओ ।
हर-हिंदू दे पूर्ण-समर्थन , “इकजुट-भारत” आ जायेगा ;
सदियों से जो धोखा खाया , अब न हिंदू खायेगा ।
विकल्पहीन अब नहीं है हिंदू ,”इकजुट-भारत” का संकल्प ;
“काला-अध्याय” मिटेगा सारा, अब तो होगा “कायाकल्प” ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”