राम-मंदिर में म्लेच्छ घुस रहे
भारत के अब्बासी – हिंदू , म्लेच्छों से भी बदतर हैं ;
म्लेच्छ तो मजहब के पक्के हैं , पर ये धूर्त ! सेक्युलर हैं ।
अब्बासी-हिंदू ने सबसे ज्यादा , धर्म को क्षति पहुँचाई है ;
अपना बनकर गला काटता , ये इतना हरजाई है ।
इसको तनिक नहीं है श्रद्धा , भारत की धर्म-संस्कृति पर ;
चरित्र का इतना गिरा हुआ है , सबसे निचले-स्तर पर ।
हिंदू ! जब से दूर हो गया , अपने धर्म – सनातन से ;
अब्बासी – हिंदू न पहचाना , अपने अधकचरे ज्ञान से ।
तिलक-त्रिपुण्ड में फंस जाते हैं , समझ न पाते धोखेबाजी ;
अब्बासी-हिंदू की धूर्त-कुटिलता, लफ्फाजी व जुमलेबाजी ।
महाशत्रु है हिंदू – धर्म का , पर बनता है हिंदू – वादी ;
लोकतंत्र को मिटा रहा है , पूरा है अधिनायकवादी ।
उद्देश्य है इसका केवल इतना , हिंदू – धर्म मिटाना है ;
अब्राहमिकों से मिली सुपारी , धर्मांतरण करवाना है ।
वुल्फ-अटैक हो रहे देश में , हिंदू नहीं सुरक्षित है ;
एक – एक मारे जाओगे , हिंसा पूरी लक्षित है ।
सोची – समझी पूरी – साजिश , हिंदू की बर्बादी की ;
अब्बासी – हिंदू रक्षा करता , म्लेच्छों की आबादी की ।
घुसपैठ हो रही चहुँ ओर से , आबादी उनकी बढ़ती जाती ;
परिवार-नियोजन हिंदू करता, उनकी आबादी घटती जाती ।
अब्बासी – हिंदू सत्ता चाहे , भारत में पाँच-वर्ष की और ;
फिर से सत्ता इसे मिली तो, होगा गजवायेहिंद का शोर ।
अब्बासी-हिंदू यदि बना रहा तो , हिंदू ! तुम न जी पाओगे ;
राम-मंदिर में म्लेच्छ घुस रहे , क्या फिर से इसे गंवाओगे ?
कानून-व्यवस्था पंगु कर रहा ,भारत का अब्बासी-हिंदू ;
सेना तक कमजोर कर रहा , घटा रहा है वहां से हिंदू ।
लोभ-लालच-अज्ञान का पर्दा, हिंदू-आंखों पर पड़ा हुआ है ;
हिंदू – नेता हिंदू – अफसर , भ्रष्टाचार में सना हुआ है ।
नब्बे-प्रतिशत तक ऐसे ही हैं , भरे हुये सरकारों में ;
प्रेस , मीडिया , शिक्षा – जगत में , सारे ही दरबारों में ।
हिंदू ! तुम्हें जागना होगा , भाग्य-विधाता बनना होगा ;
अपने कर्मों से भाग्य संवारो , अच्छी-सरकार बनाना होगा ।
अब्बासी-हिंदू सभी-दलों में , केवल एक अछूता है ;
“एकम् सनातन भारत” दल ही , “धर्म-सनातन” जीता है ।