हिंदू छला गया है हरदम , अपने ही नेताओं से ;
अभी भी धोखा खाता रहता , इन हिंदू नेताओं से ।
कश्मीर स्वर्ग था भारत का , जो हो चुका है स्वर्गवासी ;
क्या बंगाल है ? क्या है केरल? सब कुछ होगा स्वर्गवासी ।
हिंदू – नेता मतिभ्रष्ट हैं , कोढ़ में खाज हैं चरित्र -भ्रष्ट ;
जग जाओ अब सारे हिंदू , वरना होगा ये राष्ट्र नष्ट ।
राष्ट्र पे खतरा बहुत बड़ा है , सबसे बड़ा ये खतरा है ;
नाविक ही अब नाव डुबोता ,इससे बड़ा क्या खतरा है ?
राष्ट्र -नाव पर बैठने वालो, अपना नाविक फौरन बदलो ;
बढ़िया नाविक अभी बहुत हैं ,उनसे लाकर नाविक बदलो।
जांच परखकर ठोंकबजाकर,अब तो बढ़िया नाविक लाओ
केसरिया वस्त्रों को पहने , ऐसा राष्ट्रभक्त ही लाओ ।
टिड्डे हरे ,सफेद ,लाल हैं , उनसे अपना राष्ट्र बचाओ ;
महायुद्ध है होने वाला , राष्ट्र बचाने को सब आओ ।
कायरता का कुछ काम नहीं है , हाथों में सब लोहा ले लो ;
आक्रमण मानसिकता जिनकी ,बढ़कर उन से लोहा ले लो।
हजार साल की जो है गुलामी , उससे अब आजादी ले लो ;
सन सैंतालिस की आजादी झूठी,अब सच्ची आजादी लेलो।
सच्ची आजादी क्या होती है ? कहीं न होवे गुंडागर्दी ;
जान माल की पूरी हिफाजत ,.कहीं नहीं हो सोहरावर्दी ।
जब हिंदू न करें पलायन , कहीं नहीं हो गुंडा शासन ;
कहीं न कोई मंदिर टूटे ,सम्पूर्ण राष्ट्र में ऐसा शासन ।
ऐसा तब तक नहीं होयेगा , जब तक होगा कायर शासन ;
हर हालत में कायर फेंको , अब लाओ मर्दों का शासन ।
इसके लिए जरूरत हो तो ,एक नया दल तुरत बनाओ ;
जिसमें सारे वीर पुरुष हों , देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ।
“वंदे मातरम- जय हिंद”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”