“रामराज्य” यदि तुम्हें चाहिये
क्षुद्र-स्वार्थ से ऊपर उठकर , हिंदू ! तुम्हें सोचना होगा ;
अच्छी सरकार बनाना होगा , या बुरी मौत मरना होगा ।
नरसंहार हुये हैं सदियों , अब तक भी ये जारी हैं ;
केरल , कश्मीर , मणिपुर जैसे , हिंदू पर ही भारी हैं ।
जितने भी नरसंहार हुये हैं , झूठे-इतिहास से छुपा दिया ;
साजिश रचकर गंदी-शिक्षा दी , हिंदू को जड़ से हटा दिया ।
महाभ्रष्ट हैं व्यभिचारी हैं , सौ में नब्बे हिंदू – नेता ;
स्टॉकहोम – सिंड्रोम के रोगी , पूरे जिम्मी ये नेता ।
बलात्कार पीड़िता के वंशज , डीएनए इनका खोटा है ;
जेहादी की कठपुतली है , कतर के आगे लेटा है ।
धर्म से दूर किया हिंदू को , सरकारों ने मंदिर छीने ;
बचे खुचे भी तोड़ रहे हैं , सारे कार्य किये मनमाने ।
अपनी जान का दुश्मन हिंदू , धन-दौलत के लालच में ;
अंत में सब कुछ लुट जायेगा , सब कुछ मिटेगा लालच में ।
जो कायर ,कमजोर है वोटर, अब्बासी-हिंदू को नेता चुनता ;
नाली के कीड़े सा जीवन , कायर उसी में खुश रहता ।
जिनकी इज्जत कुछ भी बची है,इस नाली से बाहर निकलो ;
कीड़े-मकोड़े का जीवन छोड़ो, स्वाभिमान से अब तो जीलो ।
स्वार्थ, लोभ ,भय ,लालच छोड़ो ,कायरता को छोड़ना होगा ;
स्वाभिमान से जीना है तो , अच्छी-सरकार बनाना होगा ।
कितने टुकड़ों में बंटा है हिंदू , अब्बासी-हिंदू ने बांट दिया ;
धोखा देकर सत्ता पायी , फिर हिन्दू-धर्म ही काट दिया ।
हिंदू – जनता को लूट रहे हैं , अपने आका को देते हैं ;
टैक्स बढ़ा हिंदू को लूटें , गुंडो को जजिया देते हैं ।
हद दर्जे के गिरे हुये हैं , अय्याशी है सीमा पार ;
जीते – जी ही हूर तलाशें , रहा न कोई पारावार ।
गंदी – वासना के कीड़े हैं , घर की मर्यादा तोड़ चुके ;
एक से बढ़कर एक हैं पापी , धर्म – सनातन छोड़ चुके ।
हिंदू ! तेरी रक्षा केवल , धर्म – सनातन से ही होगी ;
अपने – धर्म में वापस आओ , तेरी विश्वविजय होगी ।
विश्वविजय की हिंदू – सेना , “एकम् सनातन भारत” दल ;
हिंदू ! सब कामों को छोड़ो , पहले देना है इसको बल ।
सारे भेदभाव को छोड़ो , सारे हिंदू अब मिल जाओ ;
“रामराज्य” यदि तुम्हें चाहिये,”एकम् सनातन भारत” लाओ।