विपुल रेगे। अजय देवगन की पहली वेब सीरीज रुद्र द एज ऑफ़ डार्कनेस एक आदर्श साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर है। रुद्र समाज में छुपे मनोरोगी अपराधियों को खोज रहा है। ये साइकोपैथ समाज की दृष्टि में सभ्य और ज़िम्मेदार नागरिक हैं। व्यक्तित्व विकार से पीड़ित ये साइकोपैथ अपराध करते हैं और पुलिस को चुनौती देते हैं। रुद्र एक पुलिस अधिकारी होने के साथ-साथ कुशल क्रिमिनोलॉजिस्ट भी है। वह अनसुलझे क्रिमिनल केसेस को सुलझाने के लिए अपराधी के दिमाग को पढता है।
ओटीटी मंच : Disney+ Hotstar
निर्देशक राजेश मापुसकर की रुद्र द एज ऑफ़ डार्कनेस छह भागों में बनाई गई है। इसकी कथावस्तु एक बुद्धिमान पुलिस अधिकारी और समाज के छुपे हुए अपराधियों के बीच के संघर्ष को वर्णित करती है। रुद्र का सामना ऐसे अपराधियों से हो रहा है, जो बैटमैन के साइकोपैथ रिडलर की भांति क्राइम सीन पर अपनी उपस्थिति के प्रमाण छोड़ देते हैं और पुलिस को चुनौती देते हैं कि उन्हें पकड़ कर दिखाए।
प्रत्येक दो एपिसोड में रुद्र एक मर्डर मिस्ट्री सुलझा रहा होता है। निर्देशक ने इन अपराधियों के चरित्र को बड़े ही मनोयोग से गढ़ा है। हर एक के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है, जिसके कारण वह एक कुशल अपराधी बन जाता है। इनमे कुछ चरित्र तो बहुत ही दिलचस्पी के साथ चित्रित किये गए हैं। जैसे एक ख्यात चित्रकार अपने खून से चित्रकारी करता है।
समाज के सामने वह एक कलाकार है लेकिन वास्तविकता में वह एक सीरियल किलर है। वह युवा लड़कियों का अपहरण कर उन्हें एक जीवित बंधक बनाकर रखता है और उनका खून पीता है। एक टैक्सी ड्राइवर की यौन शक्ति को लेकर उसकी पत्नी ने उसे नपुंसक कहा है। ये चोट उसे इतनी गहरी लगती है कि वह मुंबई की सुनसान रातों में सड़कों से युवा लड़कियों को उठाता है और उनकी हत्या करता है।
ये सभी अपराधी किसी न किसी मानसिक समस्या से पीड़ित होकर अपराध करते हैं। अजय देवगन, अतुल कुलकर्णी, ईशा देओल, आशीष विद्यार्थी, अश्विनी कालेस्कर के अभिनय से सजी ये वेब सीरीज न केवल सस्पेंस बनाए रखती है, बल्कि दर्शकों पर अपनी ग्रिप भी बना लेती है। हर एपिसोड एक निर्मम हत्या से शुरु होकर हत्यारे की धर-पकड़ पर समाप्त होता है।
अजय देवगन का किरदार बड़ा ही जटिल है। रुद्र का किरदार जैसे अजय देवगन के लिए ही बनाया गया था। ये चरित्र उनके व्यक्तित्व पर जंचता है। उन्होंने बड़ी ही गहराई से अपना किरदार अभिनीत किया है। ओम राउत की तानाजी के बाद देवगन के अभिनय में और निखार आ गया है। ये तो हम जानते हैं कि अंडरप्ले करने में देवगन की कोई सानी नहीं है।
इस किरदार के द्वारा अब उन्होंने अपने प्रशंसकों का दायरा और भी बढ़ा लिया है। हम कह सकते हैं कि ओटीटी मंच पर देवगन ने पहला कदम बड़े ही सधे हुए अंदाज में रखा है। इस वेब सीरीज के मनोरोगी हत्यारों के लिए जिन कलाकारों का चयन किया गया है, उन्होंने एक से बढ़कर एक अभिनय किया है। राजेश मापुसकर की वेब सीरीज एंगेजिंग है।
इसके सभी एपिसोड्स की कथाओं को निर्देशक ने सुंदर विस्तार दिया है। उपेन चौहान और जय शीला भंसल की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने अपनी कथाओं में सस्पेंस को बनाए रखा है। वेब सीरीज में कुछ कमियां भी दिखाई देती है। ईशा देओल और आशीष विद्यार्थी का चयन समझ नहीं आया। ईशा देओल के पास अभिनय में कुछ अधिक दिखाने को नहीं है और आशीष विद्यार्थी की अभिनय प्रतिभा को देखते हुए ये किरदार बहुत हल्का दिखाई दिया।
इस किरदार को और मजबूत बनाया जा सकता था। अंतिम एपिसोड का उल्लेख आवश्यक है। इस एपिसोड में अतुल कुलकर्णी के किरदार का नया पक्ष सामने आता है। यहाँ अतुल कुलकर्णी अत्यंत प्रभावी दिखाई दिए हैं। ये वेब सीरीज बच्चों के लिए नहीं है। ये वयस्क दर्शकों के लिए बनाई गई है। कुछ कमियों और बहुत सी अच्छाइयों के साथ ये वेब सीरीज संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करती है। इसे मिल रही नकारात्मक समीक्षाओं को परे रखकर इसे देखा जाना चाहिए।