धर्महीन बेमौत मरेंगे
तिलक – त्रिपुण्ड सभी कुछ झूठा , पूरी नौटंकी – नाटक है ;
म्लेच्छों से ले रखी सुपारी , खोले किले का फाटक है ।
वे हिंदू तो महामूर्ख हैं , जो अब तक इसे समझ न पाये ;
इसी से दोयम – दर्जा पाया , आये दिन गर्दन कटवाये ।
धर्म छोड़ जो धन को धाये , दोनों जहान से जाता है ;
ऐसे हिंदू की ताक में गुंडा , मुफ्त में जान गंवाता है ।
धर्महीन बेमौत मरेंगे , शत्रु से न बच पायेंगे ;
शत्रुबोध से रहित जो हिंदू , वे ही गला कटायेंगे ।
शत्रु – बोध व मित्र – बोध , ये दोनों धर्म से आते हैं ;
धर्म हमारी रक्षा करता , दुश्मन मुँह की खाते हैं ।
साक्षी है इतिहास हमारा , हमने जब-जब धोखा खाया ;
जीती बाजी हारते आये , जान , माल , सम्मान गंवाया ।
हजार – साल से भुगत रहे हो , अब भी अक्ल नहीं आई ;
पचास करोड़ से अधिक कट चुके,फिर भी न कोई नीति बनाई ।
अल्पसंख्यक हो चुके विश्व में , क्या पूरी तरह मिट जाना है ?
एकमात्र ये देश है अपना , क्या इसको भी नहीं बचाना है ?
हिंदू सदा हारता आया , अपने ही गद्दारों से ;
सबसे बड़ा अभी भी खतरा , इन गुंडो के यारों से ।
सबसे बड़ा गुंडों का यार है , भारत का अब्बासी-हिंदू ;
तिलक – त्रिपुण्ड का झाँसा देकर , मिटा रहा है देश से हिंदू ।
इससे पहले कि पूरे मिट जाओ, हिंदू ! अब तो होश में आओ ;
सबसे पहला काम ये करो , अब अच्छी – सरकार बनाओ ।
कानून का शासन परमावश्यक, तब ही हिंदू ! तुम बच पाओगे ;
वरना खून बहेगा इतना , उसकी थाह न पा पाओगे ।
खून – खराबा तभी रुकेगा , जब होगा कानून का शासन ;
कानून का शासन वही लायेगा , जो मानेगा धर्म – सनातन ।
धर्म – सनातन मानने वाला , एकमात्र भारत का दल ;
सर्वश्रेष्ठ हिंदूवादी दल , “एकम् सनातन भारत” दल ।
हिंदू ! अपना धर्म बचाओ , भारतवर्ष बचाना है ;
धर्म का शासन , न्याय का शासन , कानून का शासन पाना है ।
पूर्ण-सुशासन मिल सकता है , “राम-राज्य” भी आ सकता है ;
“एकम् सनातन भारत” दल ही , केवल ये कर सकता है ।