लगता सारे मैच फिक्स हैं , अम्पायर निष्पक्ष नहीं है ;
जीता मैच हरा देता है , लगता है कि पक्ष यही है ।
पूरी – पूरी जाँच हो इसकी , जे पी सी से कम न हो ;
निगरानी सुप्रीम-कोर्ट की , कभी भी कोई गम न हो ।
खुली जाँच हो देश के आगे , लुका-छुपी बिल्कुल न हो ;
पुनर्जीवित हो खेल-भावना ,खिसिआई बिल्ली कोई न हो ।
राजनीति का खेल निराला , पूरी – दुनिया में भारत में ;
सदा-सदा ही चलता रहता , कभी न रुकता भारत में ।
इसी में खाना, इसी में सोना, इसी में ओढ़ना और बिछौना ;
कहीं न कहीं चलता रहता है , पूरा भारत इसका दीवाना ।
पर जब से इसमें कूदा है , भारत का अब्बासी – हिंदू ;
खेल-भावना लुप्त हो गयी , ठगा रह गया देश का हिंदू ।
धोखेबाजी की इसकी बैटिंग , अम्पायर से मिलीभगत है ;
तिलक-त्रिपुंड का चौका-छक्का, बहुत बड़ा ये बगुला भगत है।
जब भी ये बालिंग करता है , केवल हिंदू को आउट करता ;
हर ओवर में कई-कई आउट , अम्पायर की मदद से करता ।
इसी तरह ये मैच जीतता , खेल – भावना आहत करता ;
सारे दर्शक ऊब चुके हैं , लगता है अब खेल पलटता ।
गोलबंद हों हिंदू-दर्शक , यदि उनको खेल बचाना है ;
एक मांग गुंजारित कर दो , अम्पायर को हटाना है ।
हिन्दू ! अपनी एक टीम बनायें , जो बेहद मजबूत हो ;
“एकम् सनातन भारत” दल जैसी , इसमें न कोई चूक हो ।
अब्बासी-हिंदू का जो तिलिस्म है , उसको पुर्जा-पुर्जा कर दो ;
जुमलेबाजी और लफ्फाजी , इनको पूरा चलता कर दो ।
हिंदू ! कितना टूट चुके हो ? और नहीं अब टूटना है ;
जितने भी टुकड़े हुये हमारे , उन सबको ही अब जोड़ना है ।
सारे हिंदू जुट जायेंगे , प्रचंड – टीम बन जायेंगे ;
अब्बासी – हिंदू जितने भी खिलाड़ी , कभी जीत न पायेंगे ।
“एकम् सनातन भारत” दल को , हिंदू ! अपनी टीम बनाओ ;
सुप्रीम-कोर्ट में करो मुकदमा , अम्पायर निष्पक्ष बनाओ ।
हिंदू – टीम को करना होगा , सुप्रीम – कोर्ट जाना ही होगा ;
तब ही मैच जीत पाओगे, अच्छा-अम्पायर लाना ही होगा ।
महामंत्र है यही जीत का , हिंदू – जीत सुनिश्चित होगी ;
पुनर्जीवित हो खेल – भावना और पनौती कहीं न होगी ।