विपुल रेगे। महामारी और युद्ध पर बनी फिल्मों का भविष्य अनिश्चित होता है। महामारी गुज़र जाने के बाद उस पर बनी फिल्म प्रदर्शित होकर सफल हो जाए , ऐसी संभावना कम ही होती है। ऐसे ही युद्ध फ़िल्में सफल होने के लिए सीमा पर अच्छा-ख़ासा तनाव होना आवश्यक होता है। देश-काल की परिस्थितियां फिल्म से मेल खा जाए तो चमत्कार घटित हो सकता है। ये चमत्कार ‘द वैक्सीन वॉर’ के साथ नहीं हुआ। निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इस फिल्म के ज़रिये वैक्सीन निर्माताओं को सैल्यूट मारा है लेकिन ‘कोरोना की पीड़ा’ को एस्केप कर गए हैं।
निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ वास्तव में दर्शकों के लिए नहीं है। ये उन वैज्ञानिकों को एक सलाम है, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में बहुत शीघ्रता के साथ एक वैक्सीन देश को बनाकर दी। ICMR प्रमुख प्रोफेसर बलराम भार्गव ने बहुत कम समय में स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन का निर्माण किया। इस सफलता के बाद उन्होंने एक किताब लिखी, जिसका शीर्षक ‘गोइंग वायरल’ था। इसी किताब को आधार बनाकर इस फिल्म का निर्माण किया गया है। मुख्य भूमिका नाना पाटेकर ने निभाई है। पल्लवी जोशी, राइमा सेन, गिरिजा ओक और निवेदिता भट्टाचार्य ने अन्य भूमिकाओं का निर्वाह किया है।
कहानी उस दौर की है, जब आईसीएमआर के वैज्ञानिक बिना थके, बिना रुके स्वदेशी वैक्सीन बनाने में लगे हुए थे। निर्देशक ने अपनी कहानी वैज्ञानिकों के संघर्ष और उनकी मीडिया से लड़ाई के एंगल पर बेस की है। इस कथा में आम आदमी कहीं नहीं है। इस कहानी में वह भयानक तथ्य भी नहीं है, जिसे सरकार मानने से मना करती है। वैक्सीनेशन के बाद हृदयाघात से मौतों का आंकड़ा अचानक बढ़ा। आजकल युवाओं के असमय निधन हो जाने के समाचार और वीडियो बहुत देखने और सुनने को मिल रहे हैं। निर्देशक के ‘संभ्रांत एंगल’ में देश के नागरिकों की ये पीड़ा शामिल नहीं थी।
निश्चित ही निर्देशक ने वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों की कथा देश के सामने लाई है लेकिन क्या देश उस साहसिक कथा को सुनने के लिए तैयार है ? जैसा कि मैंने ऊपर लिखा कि महामारी गुज़र जाने के बाद उस पर बनी फिल्म प्रदर्शित होकर सफल हो जाए , ऐसी संभावना कम ही होती है। विवेक की फिल्म के साथ भी यही हुआ है। उनकी फिल्म प्रासंगिक नहीं रही है। ये मात्र वैज्ञानिकों को दिया गया एक सैल्यूट बनकर रह गई है। लोग उस उदास दौर को याद ही नहीं करना चाहते। मानव का स्वभाव है कि वह पीड़ादायी अनुभवों को जल्दी भूला देता है। फ़िल्में मनोरंजन के लिए होती हैं अग्निहोत्री साहब, उनसे क्रान्ति नहीं लाई जा सकती। यदि लाई जा सकती तो आपकी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार ने कायाकल्प कर दिया होता।
यदि इस फिल्म के माध्यम से निर्देशक ने बस यही सवाल कर लिया होता कि वैक्सीनेशन के बाद बहुत से लोगों की असमय मौत की जाँच क्यों नहीं की गई, तो आपकी फिल्म ‘आज से कनेक्ट’ कर सकती थी। ये एक बीत चुका अध्याय है। एक ऐसा पन्ना, जिसका इतिहास तो भविष्य में लिखा जाएगा। यहाँ फिल्म की लागत और उसकी कमाई का कोई प्रश्न ही नहीं है। बारह करोड़ से बनी फिल्म के कलेक्शन का गुणा-भाग कोई परिणाम नहीं देगा। बात इस पर हो कि निर्देशक एक आम दर्शक के लिए फिल्म बनाने में कितने निष्ठावान रहे हैं।
फिल्म के कम कलेक्शन पर ये कहना कि ‘फिल्म कमाई के लिए तो बनाई ही नहीं थी’, आपकी बेईमानी को दिखाता है। इन्ही दर्शकों ने आपकी पिछली फिल्म पर भरपूर प्यार लुटाया था। ‘द कश्मीर फाइल्स’ में जब टिकट नहीं मिली तो लोगों ने फर्श पर बैठकर इसे देखा था। क्योंकि वह कहानी प्रासंगिक थी, कनेक्ट करती थी। मीटिंग्स रुम, स्टूडियो, लैब और कांफ्रेस रुम्स में ख़त्म हो जाने वाली आपकी फिल्म आम दर्शक से कनेक्ट क्यों नहीं कर पाई, इस पर सोचिये मिस्टर अग्निहोत्री।
Good
Kya esa hee bebak jawab aap dusri Film ke baare me de sakte ho 🙏 nahi de sakte AAP 😊
Agnihotri ki film sirf propegenda ke tahat chlti he… 👍
Who can forget oxygen crisis…. migrant crisis… lockdown crisis… corona camp…dead body floting… hidden data for death yes… it’s agnihotri… and government… this film is all about to give good credit to government who was completely failure among all over the world…h
I’m all for Vivek’s courage and originality. This is a first of its kind film. The docudrama has sincereity, emotions , good writing acting and direction. The criticism is motivated and in line with the agenda of India Speaks Daily and Sandeep Deo.
इंडिया स्पीक्स डेली की समीक्षाएं आज तक गलत नहीं हुई। हम बॉक्स ऑफिस का मिज़ाज़ समझते हैं। इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर वही हश्र हुआ, जो हमने कहा था। समीक्षाओं को बदले की भावना से मूल्यांकन मत कीजिये। समीक्षा करने का अर्थ ये नहीं कि देश के एक नेता की चरण वंदना लिख दी जाए।