कमजोरों की केंद्र में सत्ता , बहुमत की निर्बल सरकार ;
निर्बल नेता करो रिटायर , युवा साहसी की दरकार ।
अलगाववाद बढ़ रहा देश में , राष्ट्र बहुत है खतरे में ;
भरे पड़े गद्दार देश में , राष्ट्र का नेता गफलत में ।
परम – साहसी नेता लाओ , यूपी या आसाम से लाओ ;
राष्ट्र तभी अब बच पायेगा , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ।
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , सब खतरे टल जायेंगे ;
केंद्र को आंख दिखाने वाले , चूहे बिल में घुस जायेंगे ।
सबसे बड़ा राष्ट्र होता है , राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नहीं ;
चरित्रवान ही राष्ट्र का बल है , चरित्रहीन तो कुछ भी नहीं ।
सबका चरित्र है धर्म बनाता , चरित्रहीन बेधर्मी है ;
रोता नेता राष्ट्र डुबोता , कितनी बड़ी बेशर्मी है ।
कायर – नेता हरदम डरता , हरदम पीठ दिखाता है ;
सही फैसले ले न पाता , लेकर भी पलटाता है ।
अपनी निर्बलता को छुपाने , बस लफ्फाजी करता है ;
ठोस काम की करे न हिम्मत , बस नौटंकी करता है ।
केवल फैशन करना आता , चार- बार कपड़े बदले ;
जहां कहीं हिंसा की खबरें , सुनकर उसका दिल दहले ।
अपने डर को छुपाता रहता , केवल मन की बातें कहता ;
सख्त फैसले ले न पाता , केवल लल्लो – चप्पो करता ।
तन मन सब कमजोर हो चुके ,पर अभी कुटिलता बाकी है;
शतरंज की जैसी चालें चलता,पर चाल नहीं कोई बांकी है ।
देखो राजा घिर ही चुका है,अपनी चालों से पिट ही चुका है;
बेहतर है अब प्लेयर बदलो , ये तो बाजी हार चुका है ।
खेल तभी ये जीत सकोगे , खेलने वाला सक्षम हो ;
कमजोरों का काम नहीं है , कोई भी न अक्षम हो ।
पूरी टीम बदलनी होगी , निडर साहसी सारे हों ;
चरित्र की ताकत बहुत बड़ी है , चरित्रवान ही सारे हों ।
कोई भी कमजोरी न हो , ताकि ब्लैकमेल कोई न हो ;
धर्म – सनातन की ही ताकत , नेता ब्लैकमेल न हो ।
लोहा तपकर गरम हो चुका , पार्टी फौरन वार करे ;
परम साहसी चरित्रवान नेता ही , बेड़ा पार करे ।
अपनी क्षुद्र कामना छोड़ो , केवल राष्ट्र की बात करो ;
राष्ट्र बचेगा तब ही बचोगे , अब न राष्ट्र से घात करो ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”