पुस्तक का नाम: आधुनिक जीवन शैली के रोग, कारण एवं निवारण
लेखक: वैद्य राजेश कपूर
प्रकाशक: गवाक्ष प्रकाशन, सोलन, हिमाचल प्रदेश
पृष्ठ: 160
मूल्य: 300 रूपए
यह पुस्तक लोगों को झकझोरने वाली कृति है। पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर लिखी कुछ पंक्तियाँ इस बात को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं, ” होना तो ये चाहिए था कि चिकित्सक व दवाएं बढ़ी हैं तो उस अनुपात में रोग और रोगी कम होने चाहियें थे, पर इसके विपरीत हो रहा है। दवाएं और चिकित्सक जितने बढ़ रहे हैं , रोगी उतने अधिक बढ़ते जा रहे हैं।
औसत आयु बढ़ने के दावे भी खोखले लगते हैं। आज भी अनेक वृद्ध 80-90 साल की आयु में स्वस्थ हैं। उनकी आँख, कान, दाँत, आंत, सभी कुछ पूरी तरह ठीक काम करते हैं। पर आज के युवा उनके जैसे स्वस्थ नहीं हैं। इस पुस्तक की विषय वस्तु की यह एक झलक है।
सनातन धर्म और इसकी उत्कृष्ट सांस्कृतिक परंपरा का डंका कोविड काल में जमकर बजा है। वैश्विक कोरोना महामारी ने दुनिया को अपनी जीवन शैली को बदलने या उसमें बदलाव के लिए विचार करने के लिए विवश कर दिया है। यह एक स्थापित सत्य है कि अधिकांश रोगों की जड़ हमारी अव्यवस्थित जीवन शैली ही होती है। और यह भी प्रमाणित सत्य है कि यदि मनुष्य की जीवन शैली में सुयोग्य या सकारात्मक परिवर्तन आता है और खान-पान स्वास्थ्यप्रद होता है तो जीवन शैली के कारण उत्पन्न हुए बहुत से रोगों से मुक्ति मिल जाती है। वैद्य राजेश कपूर के 40 वर्षों के शोध और साधना के बाद “आधुनिक जीवन शैली के रोग कारण एवं निवारण” पुस्तक का प्रादुर्भाव हुआ है। गवाक्ष प्रकाशन सोलन हिमाचल प्रदेश ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। पुस्तक में 160 पृष्ठ हैं और मूल्य जिसे पुस्तक में सहयोग राशि कहा गया है 300 रूपए है।
हिमाचल सरकार द्वारा ‘लोकतंत्र प्रहरी सम्मान’ से सम्मानित वैद्य राजेश कपूर द्वारा लिखित इस पुस्तक का विमोचन गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने किया है। जीवन शैली के विविध आयामों पर झकझोरने वाली जानकारी के साथ साथ इस पुस्तक में भारत के उन्नत इतिहास की संक्षिप्त झलक भी मिलती है। वैद्य राजेश कपूर के कई अनुभूत प्रयोग भी इस पुस्तक में दिए गए हैं ।
वैद्य जी की यह पुस्तक केवल एक बिंदु पर केन्द्रित है, “ हमारा आहार सही नहीं” । पुस्तक में मनुष्य को होने वाले रोगों के वास्तविक कारण और बहुत सरल समाधान दिए हुए हैं । आहार में उपयोग होने वाला समुद्री नमक, सफेद चीनी, रिफाइंड तेल चाय के प्रभाव (दुष्प्रभाव), साबुन-सैम्पू के शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव और कारण विस्तृत रूप से दिए गए हैं । घर में रोगरहित साबुन बनाने की बड़ी सरल विधि भी इस पुस्तक में है । क्लोरिन युक्त पानी, टूथपेस्ट तथा ब्रश, सौन्दर्य प्रसाधनों और पैकेट तथा बोतल बंद आहार के विनाशकारी प्रचार की इस पुस्तक में पोल खोल दी गई है । इसके पुस्तक में ‘दूध में दानव’ की परिकल्पना प्रमाण सहित की गई है । भोजन पकाने के एल्युमीनियम और स्टील के बर्तनों से होने वाले घातक परिणाम विस्तृत रूप से प्रमाण सहित दिए गयें हैं ।
नाभी स्नेहन से कई रोगों की चिकित्सा कैसे की जा सकती है इसके अनेक प्रयोगात्मक उदाहरण दिए हैं इसके साथ ही विष रहित होली के रंग घर में ही कैसे बनाये जा सकते हैं इसकी विधियाँ भी बताई गई हैं । भारत के विश्वगुरु होने के अनेक प्रमाण भी इस पुस्तक में दिए गए हैं । गर्भकाल से लेकर प्रसूता व बच्चे का आहार कैसा होना चाहिए इसके बारे में नौ महीने का खाद्य पदार्थ सहित प्लान दिया गया है । प्रसव में होने वाली भूलों की तरफ भी इस पुस्तक में ध्यानाकर्षित किया गया है ।
मधुमेह (डायबिटीज) में गेहूं की भूमिका पर विस्तृत रूप से लिखा गया है । घर में ही जल शोधन के लिए एंजाइम कैसे बनाया जा सकता है इसकी अमूल्य विधि इस पुस्तक में दी गई है । कोल्ड ड्रिंक का आज ऐसा चलन है कि लोग भोजन में पानी की जगह कोल्ड ड्रिंक का सेवन करते हैं । लेकिन इस पुस्तक में कोल्ड ड्रिंक को लेकर जिस काले सच का अनावरण किया गया है उसे पढ़कर लोग कोल्ड ड्रिंक की तरफ देखेंगे भी नही ।
यह पुस्तक मानवीय जीवन शैली को लेकर लिखी गई एक अद्भुत पुस्तक है । इस पुस्तक को पढ़ने वाले लोगों के घर में बहुत से परिवर्तन होने वाले हैं यह एक सत्य है । यह पुस्तक रोगों से दूर एक स्वस्थ जीवन जीने का माध्यम बन सकती है ।