विपुल रेगे। भारतीय फिल्म उद्योग में सुपरहीरोज की परंपरा कभी समृद्ध नहीं रही है। वास्तव में भारत के पौराणिक नायकों के होते भारतीय परिवेश में इसकी आवश्यकता ही अनुभव नहीं की गई थी। हॉलीवुड में जिस तरह सुपरहीरोज की विशाल सेना दिखाई देती है, वैसी तो नहीं लेकिन कुछ ऐसे सुपरहीरोज की हमारे निर्देशकों ने भी कल्पना की है। मिस्टर इंडिया, कृष और फ़्लाइंग जट के बाद एक नया सुपर हीरो अवतरित हुआ है। मलयालम फिल्म उद्योग की कोख ने मिन्नल मुरली ने जन्म लिया है।
ओटीटी मंच : Netflix
मिस्टर इंडिया के पास सुपर पॉवर के नाम पर एक ब्रेसलेट हुआ करता था। उसे पहनकर मिस्टर इंडिया अदृश्य हो जाया करता था। कृष को अपनी क्षमताएं दूसरे ग्रह से आए एक एलियन से प्राप्त हुई थी। फ्लाइंग जट ने जब प्रदूषण के राक्षस से युद्ध किया तो उसे खालसा की ओर से विशेष शक्तियां प्राप्त हुई थी। नया सुपरहीरो इन सबसे अलग है।
उसको प्राप्त शक्तियों के पीछे न कोई वैज्ञानिक प्रयोग है और न ही ईश्वरीय सत्ता ने उसे ये शक्तियां प्रदान की है। केरल के एक छोटे से गांव में जेसन नाम का युवा रहता है। कई वर्ष पूर्व उसके पिता बिजली गिरने से मारे गए थे। जेसन अमेरिका जाना चाहता है। वह एक पुलिस अधिकारी की बेटी से प्रेम करता है लेकिन पुलिस अधिकारी उसकी आर्थिक स्थिति के कारण ये रिश्ता स्वीकार नहीं करता।
एक दिन गांव में दुर्घटना घटती है। जेसन व एक चाय होटल पर कार्य करने वाले शिबू पर आकाशीय आघात होता है। इस आघात के द्वारा दोनों में कोई रहस्यमयी शक्ति समा जाती है। जेसन का शरीर अत्यंत शक्तिशाली हो जाता है और शीबू में चीजों को खींचने और उन पर नियंत्रण की शक्ति आ जाती है। शीबू एक महिला उषा से प्रेम करता है। उसका प्रेम शीबू को खलनायक बना देता है।
शीबू बैंक लूटता है और दीवार पर एक काल्पनिक नाम लिख जाता है ‘मिन्नल मुरली।’ कृष और फ़्लाइंग जट से इसकी तुलना की जाए तो कुछ कमियां दिखाई देती हैं। सबसे बड़ी कमी है शक्तियों का रहस्य प्रकट न करना। कृष में तर्कपूर्ण ढंग से बताया गया था कि उसे एलियन से शक्तियां किस तरह प्राप्त होती हैं। लेकिन इस फिल्म में अधूरापन लगता है।
इसका कथानक मुझे एक अन्य सुपरहीरो फिल्म ‘ग्रीन लैंटर्न’ की याद दिलाता है। ग्रीन लैंटर्न में एक ही समय पर दो लोगों को सुपर पॉवर मिलती है। ऐसा ही हमने स्पाइडर मैन के प्रथम भाग में देखा था। मिन्नल मुरली की सबसे अच्छी बात ये है कि उसने किसी हॉलीवुड फिल्म की नकल न करते हुए भारतीय परिवेश में एक नायक की रचना की है।
जहाँ सुपरहीरो फिल्म होती है, वहां वीएफएक्स का योगदान आवश्यक हो जाता है। फिल्म में स्पेशल इफेक्ट्स प्रभावित करते हैं। विशेष रुप से शीबू का कैरेक्टर बहुत प्रभावित करता है। गुरु सोमसुंदरम ने शीबू के कैरेक्टर को जीवंत किया है। जेसन का किरदार टोविनो थॉमस ने निभाया है। वे सहज स्वाभाविक अभिनेता हैं और प्रभावित भी करते हैं।
मिन्नल मुरली के कई भाग भविष्य में दिखाई दे सकते हैं। इस फिल्म में निर्देशक बासिल जोसफ ने अपने किरदारों को स्थापित कर दिया है और निश्चित ही वे इस कथा को नए आयाम देंगे क्योंकि नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित हुई ये फिल्म दर्शकों के बीच सराही जा रही है। शीबू और जेसन अद्भुत शक्तियों से लैस हैं और दोनों ही मानवीय भावनाओं से संचालित होते हैं।
सुपरहीरो केटेगरी में ये सबसे महत्वपूर्ण एंगल होता है कि नायक सुपरहीरो क्यों बना। इसे एक अच्छा प्रयास कहा जाना चाहिए। फिल्म का परिवेश ईसाई है। फिल्म के पात्र भी ईसाई दिखाए गए हैं। संभवतः अब केरल में ऐसे गांव मिलने लगे हैं, जहाँ पहुंचकर ऐसा भान होता है कि आप किसी और देश में आ गए हैं। कुछेक कमियों को निकाल दिया जाए तो भारत में सुपर हीरो स्थापित करने की राह में ‘मिन्नल मुरली’ छोटा ही सही, लेकिन महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाएगा।