“राम-राज्य” को यही लायेगा
दिल्ली – सल्तनत दरक रही है , सूबों का भी हाल बुरा ;
अब्बासी – हिंदू डरा हुआ है , कर्म बुरा अंजाम बुरा ।
एक-एक उसके कर्मों का , अब हिसाब होने वाला है ;
काले – कारनामे जितने हैं , उनसे पर्दा उठने वाला है ।
बहुत पक चुकी इसकी खिचड़ी, अब हांडी जलने वाली है ;
काठ की हांडी जलके रहेगी , नई-सुबह आने वाली है ।
हुआ सवेरा जागो हिंदू ! अब सोने का काम नहीं है ;
अपनी लंबी-निद्रा त्यागो , जीत अभी आसान नहीं है ।
पर जीत तुम्हारी निश्चित होगी , धर्म तुम्हारे साथ है ;
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , “कृष्ण-अर्जुन” भी साथ हैं ।
“एकम् सनातन भारत” क्या है ? धर्म-युद्ध की पांडव-सेना ;
इसके अर्जुन अंकुर-शर्मा हैं,संदीप-देव को कृष्ण समझना ।
अब्बासी-हिंदू की कौरव-सेना , राजा अंधा-धृतराष्ट्र है ;
धर्म-युद्ध आसन्न है सर पर , लगा दांव पर राष्ट्र है ।
धर्म – सनातन विजयी होगा , तभी देश संरक्षित होगा ;
देश बचेगा – राष्ट्र बचेगा , भारतवर्ष सुरक्षित होगा ।
सबसे पहले अगर धर्म है , तो सब-कुछ बच जाता है ;
जब भी राजा पापी होता , देश नष्ट हो जाता है ।
सभी जगह था धर्म – सनातन , पूरा – विश्व हमारा था ;
धीरे-धीरे तब-तब टूटा , जब टूटा धर्म हमारा था ।
जितना भी थोड़ा बचा है भारत , हमको इसे बचाना है ;
धर्म का शासन – न्याय का शासन , हर हालत में लाना है ।
इसको पाने का मार्ग यही है , अच्छी-सरकार बनाना है ;
अच्छी-सरकार बनेगी कैसे ? हिंदू-वादी दल लाना है ।
एकमात्र दल हिंदू – वादी , “एकम् सनातन भारत” है ;
कृष्ण और अर्जुन की जोड़ी, विजय का निश्चित स्वागत है ।
धर्म-युद्ध है महा-युद्ध है , महा-यज्ञ इसको जानो ;
हर हिंदू को आहुति देना , धर्म की विजय सुनिश्चित मानो ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , हर अन्याय मिटाना है ;
सदियों से है गंदा-शासन , “राम-राज्य” अब पाना है ।
“राम-राज्य” को यही लायेगा, “एकम् सनातन भारत” दल ;
धर्म-सनातन को पूर्ण समर्पित , नष्ट करे सारे कलि-मल ।
कोई अन्याय न रह पायेगा , धर्म-समर्पित शासन होगा ;
सदा रहा है “धर्म-सनातन” , पूरा-विश्व सनातन होगा ।