हिंदू क्यों हिंदू का दुश्मन ? कारण समझ नहीं आता ;
चरित्रहीनता , बुद्धिहीनता , कारण यही समझ में आता ।
चरित्रहीनता में शामिल है , स्वार्थ , लोभ , भय , भ्रष्टाचार ;
बुद्धिहीनता के कारण हैं , धर्म से दूरी धन से प्यार ।
धन-दौलत , गाड़ी व बंगला , हिंदू इसमें ही जुटा हुआ है ;
कुछ भी काम नहीं आयेगा , तेरा सब कुछ लुटा हुआ है ।
गुंडा जान,माल,इज्जत ले लेगा , जिंदा भी न छोड़ेगा ;
तेरा सब कुछ लुट जायेगा , कुछ भी काम नहीं आयेगा ।
बुद्धिहीनता हिंदू छोड़ो , धर्म – सनातन में आओ ;
शस्त्र-शास्त्र का पूर्ण-प्रशिक्षण,साहस-शौर्य सभी कुछ पाओ
रामायण , गीता , महाभारत , हिंदू इनसे नाता जोड़ो ;
शत्रुबोध को जागृत करके,सेक्युलरिज्म के जाल को तोड़ो ।
सेकुलरिज्म का जाल बुना है , चरित्रहीन कायर नेता ने ;
अंग्रेजों से सत्ता पाकर , इतिहास बिगाड़ा नेता ने ।
चरित्रहीन , कायर गांधी ने , देश का सत्यानाश कर दिया ;
पाकिस्तान बना कर इसने , हिंदू – नरसंहार कर दिया ।
ये नरसंहार अभी भी जारी , सत्ता पर गांधी के चेले ;
कोई नहीं हिंदू का साथी , हिंदू अब भी निपट अकेले ।
गांधी से चार-कदम आगे है , तथाकथित गांधी का चेला ;
गांधी के नाम के पीछे छिपकर , करता पूरे देश में खेला ।
गजवायेहिन्द का ये खेला है , जिस पर ये आमादा है ;
तृप्तिकरण प्रारंभ कर चुका , आगे-आगे पसमांदा है ।
हिंदू ! गहरी नींद से जागो , मौत की नींद न बन जाये ;
जागो और जगाओ सबको , अबकी कोई चूक न जाये ।
हर-चुनाव में करो सुनिश्चित , हिंदू – द्रोही जीत न पाये ;
किसी भी दल का या निर्दल हो,कट्टर-हिंदू ही जीतके आये।
आकार ले रहा “सर्वश्रेष्ठ-दल”, जम्मू में प्रारंभ हुआ है ;
अब हिंदू न रहे उपेक्षित , सपना ये साकार हुआ है ।
“इकजुट-जम्मू”,”इकजुट-हिंदू”, “इकजुट-भारत” लाना है ;
पूर्ण – स्वतंत्र हर हिंदू होगा , “हिंदू – राष्ट्र” बनाना है ।
“हिंदू – राष्ट्र” बनेगा भारत , भारत तब ही बच पायेगा ;
जी जान से इसमें जुटना होगा , वरना हिंदू मिट जायेगा ।
“हिंदू – धर्म” मिटेगा जिस दिन , मानवता मिट जायेगी ;
खून की नदियां बहेंगी इतनी , ये पृथ्वी रंग जायेगी ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”