रोता हुआ जो नेता होगा , वो तो देश रुलायेगा ;
अपने आंसू पोंछ सके न , औरों के क्या पोंछेगा ?
काम के लायक नहीं ये नेता , इसको पद से छुट्टी दो ;
इसको भेजो किसी आश्रम में,अब तो योग्य को मौका दो।
देश की हालत बड़ी विकट है , अंदर बाहर दुश्मन है ;
चीन मारता भेज के वायरस , पाकिस्तान भी दुश्मन है ।
अब कमजोरी का काम नहीं है , लौह पुरुष को आने दो ;
इतनी बड़ी है तेरी पार्टी , अब तो योग्य को आने दो ।
अब मूर्खों के स्वर्ग को छोड़ो , बात करो तुम धरती की ;
अब भी पार्टी नहीं चेतती , तो फिर सांसे गिनती की ।
लगता है दुर्भाग्य देश का , जल्दी पीछा न छोड़े ;
ऐसा नेता नहीं दीखता , वक्त का पहिया जो मोड़े ।
बुद्धि इतनी भ्रष्ट हो चुकी , जितना देश में भ्रष्टाचार ;
वो तो राम भरोसे सबकुछ , वरना नेता को धिक्कार ।
केवल नौटंकी होती है , लफ्फाजी की बहे बयार ;
देश में जैसा राजा होता , वैसी प्रजा भी हो तैयार ।
कोई नहीं रोल -मॉडल है , केवल पॉकेट -मार रहे ;
आजादी से यही कहानी , नेता ही गद्दार रहे ।
गांधीवादी सदा नपुंसक , राष्ट्र की रक्षा कर न सके ;
गांधीवाद की लाश ढो रहे , अपना कुछ भी कर न सके ।
गांधीवाद कचरे में फेकों , राष्ट्रवाद की अलख जगाओ ;
रोना-धोना एकदम छोड़ो , वरना जल्दी से भग जाओ ।
शूरवीर हो राष्ट्रभक्त हो , अब ऐसे नेता को लाओ ;
इस पार्टी में संभव न हो , तो फिर एक नया दल लाओ ।
सारे राष्ट्रभक्त मिल जाओ , मिलकर हिंदू राष्ट्र बनाओ ;
फिर देखो परिवर्तन होगा , धर्म सनातन को अपनाओ ।
बिन इसके कल्याण नहीं है , बहुत जरूरी ये अपनाओ ;
राष्ट्र सुखी हो ,विश्व शांति हो, धर्म के दुश्मन मार भगाओ ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचयिता: बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”
kavita bahut hi badiya hai par bharat ka naksha galat hai.