“धर्मपत्नी” बिन धर्म कहाँ है ?
बलात्कार पीड़िता के वंशज , डी एन ए अपना मिला रहे ;
पचास – बरस को हिंदू – मंदिर और मूर्तियाँ छुड़ा रहे ।
“राष्ट्रीय – समलैंगिक – संघ” है , ज्यादातर कुँवारे हैं ;
आपस में ही बरता करते , सूखे हुये छुहारे हैं ।
घर – परिवार की जो मर्यादा , सब के सब ये छोड़ चुके हैं ;
कुछ तो इतना गिरे हैं नीचे , पत्नी से मुख मोड़ चुके हैं ।
परनारी की ताक में रहते , पूरी दुनिया घूमा करते ;
सार्वजनिक धन की बर्बादी , अपने ऊपर करते रहते ।
धर्म – संस्कृति के दुश्मन हैं , मानवता के शत्रु हैं ;
अब्राहमिक इनका एजेंडा , केवल गुंडो के मित्र हैं ।
गुंडो से ये डर के मारे , उनको अपना मित्र मानते ;
वर्जनाहीन पूरा जीवन है,इसी से शांति का मजहब कहते ।
धर्म – सनातन की मर्यादा , इनको कतई बर्दाश्त नहीं ;
इसी वजह इनके जीवन में , कोई भी है शास्त्र नहीं ।
धर्म – शास्त्र से विमुख हैं पूरे , फिर काहे के हिंदू हैं ?
अब्राहमिक की कठपुतली हैं , ये अब्बासी – हिंदू हैॅ ।
साधारण जो हिंदू-जनता, उसको है इनके प्रति पूरा भ्रम ;
हिंदू ! अपने भ्रम को त्यागो , जानो इनका क्या है मर्म ?
वास्तव में ये सब कायर हैं , कामुुक और नपुंसक हैं ;
एक नम्बर के मुफ्तखोर हैं , धर्म के प्रति ये हिंसक हैं ।
हिंदू – धर्म मिटा देने का , अब्राहमिक – षड्यंत्र है ;
“राष्ट्रीय – समलैंगिक – संघ” , इनका ही तो यंत्र है ।
अब हिंदू को समझना होगा,इनको ठीक से जानना होगा ;
जो भी नेता – बाबा है कुंवारा, इन सबसे ही बचना होगा ।
“धर्मपत्नी” बिन धर्म कहाँ है ? वहां तो पूरा है व्यभिचार ;
ऐसे मुखिया जिस समाज के , वहाँ बढ़ेगा अनाचार ।
अनाचार से दुराचार है , जिससे निकले अत्याचार ;
अत्याचार बढ़ा भारत में , मरणान्तक है बलात्कार ।
अब्बासी-हिंदू के ही कारण , भारत घोर नरक को भोगे ;
आजादी से यही चल रहा, हिंदू कब इसको खत्म करोगे ?
हिंदू ! तुम अब कर सकते हो,एकम् सनातन भारत आया;
अच्छी सरकार बनाओ इसकी,तो कानून का शासन आया।
विशेषाधिकार गुंडों का खत्म कर,पूरा शासन निर्भय होगा ;
जस का तस कानून हो लागू , तब ही पूर्ण सुशासन होगा ।