धर्म की रक्षा जो करते हैं , धर्म से रक्षित वो होते हैं ;
धर्म की रक्षा जो न करते ,जल्दी ही मिट वो जाते हैं ।
सत्ता के रंगे सियारों ने , धर्म का सत्यानाश कर दिया ;
इनका कोई धर्म नहीं है ,मानवता का नाश कर दिया ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म सनातन , पर कहाँ है इसका पुरसाहाल ?
भ्रष्टाचार ,लोभ , लालच ने , इसका किया हाल बेहाल ।
जब तक हिंदू सोता रहेगा , तब तक हिंदू मरता रहेगा ;
अब सोने का काम नहीं है ,वरना नहीं ये राष्ट्र बचेगा ।
उठ जाओ सब साहस करके , धर्म युद्ध है राह तक रहा ;
हर घर में हो राम – लक्ष्मण , बच्चा – बच्चा युद्ध कर रहा ।
अपना धर्म है सबसे ऊपर , उसे बचाने को सब आओ ;
धर्म बचेगा हम भी बचेंगे , भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
जिनको तुमने वोट दिया है , अब उनका घेराव करो ;
साफ तौर पर उन्हें बता दो , यही मंत्र है करो या मरो ।
मरने का अब भय न करना , डरने का कोई काम नहीं ;
हर हालत में शक्ति बढ़ाओ , कमजोरी का नाम नहीं ।
राष्ट्र के जितने भी दुश्मन हैं , उनको भलीभांति पहचानो ;
विधिसम्मत जितने भी ढंग हैं, इस्तेमाल तुम उनका जानो ।
शाहीनबाग ने राह दिखाई , किसान उसी राह पे चलते ;
तुमको आखिर किसने रोका ? उसी राह पे क्यों न चलते ?
अपनी ताकत करो संगठित , एक साथ सड़कों पे आओ ;
हजार गुना शाहीन बाग हो , तब तुम अपनी मंजिल पाओ ।
ये सब करना बहुत जरूरी , वरना तुम मिट जाओगे ;
डरते – डरते जीवन बीता , डरते – डरते ही मर जाओगे ।
जान से प्यारे तेरे बच्चे , एक नहीं ये बच पायेंगे ;
खूंखार – भेड़िए घूम रहे हैं , वे सबको खा जायेंगे ।
अपनी रक्षा , राष्ट्र की रक्षा , ये कानूनी अधिकार है ;
ये अधिकार कभी न छोड़ो , रखना अब हथियार है ।
सारा सोना बेच – बाच कर , पूरे घर में लोहा भर लो ;
जो भी तुझे मारने आये , पहले उसकी जान को ले लो ।
सब ऐसा पुरुषार्थ जगायें , राष्ट्र के दुश्मन रह न पायें ;
कोई नहीं धर्मशाला है , केवल राष्ट्रभक्त रह जायें ।
राष्ट्रभक्त की धरती केवल , हिंदू – राष्ट्र हमारा है ;
आतंकवाद की राह दिखाता , आतंकिस्तान तुम्हारा है ।
“जयहिंद- वंदेमातरम”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”