अठ्ठारह सौ सत्तावन में , अंग्रेजों पर आफत आई ;
इसीलिए फिर न हो ऐसा , आर्म्स एक्ट की लानत आई ।
भारत को कमजोर करे जो , इसी से ये कानून बनाया ;
अपने राज की रक्षा करने , भारत को निःशस्त्र कराया ।
जैसे – तैसे अंग्रेज भगे पर , सत्ता गद्दारों को दे गये ;
गद्दारों ने गोरों की तरह ही , वैसे सारे काम किये ।
आर्म्स एक्ट को जिन्दा रक्खा , पर गुंडों को पूरी छूट ;
भले लोग निःशस्त्र हो गये और गुंडे करते पूरी लूट ।
नाकारा नेता थे इतने , अच्छा- शासन कभी न आया ;
बिन रिश्वत के काम न होता , ऐसा भ्रष्टाचार बढ़ाया ।
इसलिये पुलिस को भ्रष्ट बनाया, नेता की गर्दन बची रहे ;
दोनों मिलकर लूटे खायें और दोनों की कुर्सी बची रहे ।
खत्म हो गई कार्यकुशलता , ज्यादातर फर्जी लिखा पढ़ी ;
किसीतरह सर्विस बचजाये,पुलिस को बस इतनी ही पड़ी।
संकट पर जो कभी न आती , ऐसी पुलिस हमारी है ;
इसीलिये तो हम सबको , करनी रक्षा तैयारी है ।
भले लोग कानून से डरते , पुलिस से भी घबराते हैं ;
इसीलिये हथियार न रखते , दंगों में मारे जाते हैं ।
पर कुछ ऐसे अस्त्र-शस्त्र हैं , खुले-आम रख सकते हो ;
खेती ,किसानी, बागवानी के ,सब औजार रख सकते हो ।
लकड़ी काटने की कुल्हाड़ी ,तरबूज काटने का चाकू हो ;
मांस काटने का दीर्घ छुरा हो , लोहे का जबर हथौड़ा हो ।
सबसे अच्छी लंबी लाठी , कभी न कोई झंझट हो ;
लाठी में छोटा सा भाला , जो चार – इंच से कम का हो ।
मिट्टी खोदने का साबड़ हो , छत पर ईंटा -गुम्मा हो ;
लोहे का लम्बा सरिया हो , या काली मां की सांगी हो ।
हनुमान की भारी गदा को रखो , परशुराम का फरसा हो ;
रामचंद्र का धनुष – बाण हो , इससे न कोई खतरा हो ।
मां दुर्गा के बनो उपासक , उनकी खड्ग संभालो तुम ;
शिवजी का त्रिशूल भी लाओ , धर्म की रक्षा करना तुम ।
अलग-अलग जो हिंदू होगा , एक नहीं बच पायेगा ;
अब तो सोना – चांदी छोड़ो , लोहा ही तुम्हें बचायेगा ।
अपनी सारी गफलत छोड़ो , अब तो केवल यही रास्ता ;
सोना छोड़ो लोहा पकड़ो , यही तो सबसे सही रास्ता ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”