भ्रष्टाचार एक भस्मासुर , नाकारा शासन की देन ;
अयोग्य लोग सत्ता में आकर , इसे बढाते दिन और रैन ।
भ्रष्टाचार के भाई – बहन हैं , लोभ- लालच व बेईमानी ;
खानदान बढ़ता ही जाता , नेता – अफसर अज्ञानी ।
धर्म का सच्चा- ज्ञान नहीं है , करते रहते भ्रष्टाचार ;
नैतिक शिक्षा कहीं नहीं है , बढ़ता रहता अनाचार ।
झूठे इतिहास का पर्दा डाला , छिपा रहे हैं अत्याचार ;
शिक्षा भटकी सत्य मार्ग से , केवल पैसों का व्यापार ।
ये सारे विनाश को लाते , मानवता को मिटा रहे ;
कट्टरपन व हिंसा बढ़ती और दंगों को बढ़ा रहे ।
भ्रष्टाचार ने किया खोखला , कानून का शासन खत्म हुआ ;
दौलत इनकी कहां जायेगी ? जब जीवन ही खत्म हुआ ।
भ्रष्टाचारी ही दुश्मन है , राष्ट्र के सुखचैन का ;
इसी वजह से गुंडे हावी , हस्तक्षेप पाक चीन का ।
हर झगड़े की वजह यही है , यही खाद व पानी है ;
राष्ट्र में जितनी भी हैं समस्या , इसी के कारण आनी है ।
हर अन्याय की वजह यही है , कमजोरों को मार रहा ;
वोट बैंक का यही है कारण,अल्पसंख्यकवाद भी बढ़ा रहा ।
अब हिंदू ही आगे आकर , राक्षस का संहार करें ;
या तो मारो इस राक्षस को , या राक्षस संहार करे ।
करो-मरो की स्थिति आयी , अब तो कुछ करना होगा ;
भ्रष्टाचार से कतई मुक्त हो , ऐसा शासन लाना होगा ।
अब तक जिनने भी सत्ता पाई , भ्रष्टाचार में लिप्त रहे ;
सारे दल बन चुके हैं दलदल , भ्रष्टाचार से युक्त रहे ।
अब तो भ्रष्टाचार हटाने , एक नया दल लाना है ;
धर्म – मार्ग पर चलने वाली ही सरकार बनाना है ।
धर्म – सनातन की ही ताकत , भ्रष्टाचार हटायेगी ;
सच्चा इतिहास व नैतिक शिक्षा , इस लानत को हटायेगी ।
ऐसा ही दल उदय हुआ है , “एकजुट- जम्मू ” नाम है ;
“एकजुट – भारत “इसे बनाओ , राक्षस का काम तमाम है ।
भ्रष्टाचार का राक्षस मारो , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ;
धर्म-सनातन मार्ग ही केवल , चलकर अपनी मंजिल पाओ।
मानवता की मंजिल क्या है ?शांति व्यवस्था और सुशासन ;
कानून के शासन से आता है,इसीको जानो न्याय का आसन
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”