विपुल रेगे। एक हवाई जहाज में करोड़ों के हीरों से जड़ा मोबाइल फोन भारत लाया जा रहा है। ये हीरे एक मंत्री के हैं। इन हीरो को चुराने के लिए कुछ लोग योजना बना रहे हैं । हज़ारों फ़ीट की ऊंचाई पर हीरो की चोरी के साथ एक प्रतिशोध भी जुड़ा हुआ है। ये कहानी दो शातिर लोगों की है। इनमे से एक हीरे चुराना चाहता है और दूसरा बदला लेना चाहता है। नेटफिल्क्स पर सनी कौशल और यामी गौतम की मुख्य भूमिकाओं वाली ‘चोर निकल के भागा’ रिलीज हुई है। फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही है।
ओटीटी मंच : Netflix
जब किसी निर्देशक को एक रोचक कहानी मिलती है तो उसे फिल्म के रुप में पेश करने पर बॉक्स ऑफिस सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती है। ‘चोर निकल के भागा’ एक ऐसी ही कहानी थी। इसकी स्क्रिप्ट अपने आप में भीड़ खींचने का दम रखती थी। फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही है तो इसका कारण है मुख्य भूमिका के लिए यामी गौतम का चयन करना। ये एक ऐसी कहानी थी, जिसमे कलाकार को अपने अंदर का रुपांतरण दिखाना था। कहानी की मांग के अनुसार यामी ‘ट्रांसफॉर्मेशन’ नहीं कर सकी।
फिर भी सिर्फ यामी के कारण फिल्म ख़ारिज नहीं की जा सकती है, इसमें बहुत कुछ अच्छा भी है। फिल्म के निर्देशक अजय सिंह हैं। उनकी बनाई तीन फिल्मों में से ये सबसे अच्छी पेशकश है और बताती है कि अजय सिंह एक अच्छा निर्देशक बनने की राह पर हैं। एक शातिर अपराधी एक खूबसूरत एयर होस्टेस को प्रेम जाल में फांसता है। उस एयर होस्टेस को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है। फिर कुछ ऐसा होता है कि एयर होस्टेस अपने पति के लिए गहरे प्रतिशोध की भावना से भर जाती है।
ये एक रात की कहानी है, जिसका अधिकांश हिस्सा विमान में शूट किया गया है। बीच-बीच में कहानी फ्लैशबैक में जाती है और पात्रों की बेक स्टोरीज बताती है। ये एक तेज़ भागती थ्रिलर है, जिसमे रोमांच और एक्शन का नपातुला प्रयोग किया गया है। हीरो जड़े मोबाइल को चुराने की कवायद और इंट्रेस्टिंग बनाई जा सकती थी। फिल्म की मैन लीड अच्छी रही है, बहुत अच्छी नहीं। सनी कौशल ने प्रभावकारी अभिनय किया है। सनी विकी कौशल के चचेरे भाई हैं और प्रतिभाशाली हैं।
उन्होंने अपने निगेटिव शेड में अच्छी उपस्तिथि दर्ज कराई है। फिल्म में एकमात्र गड़बड़ यामी गौतम रही हैं। दरअसल यामी का व्यक्तित्व इस तरह के किरदारों को सूट नहीं करता है। वे रुपांतरण नहीं कर सकी हैं। फिल्म के निर्माता अमर कौशिक हैं। वहीं अमर कौशिक, जिन्होंने ‘स्त्री’ बनाई थी। ‘स्त्री’ में उनकी मुख्य किरदार श्रद्धा कपूर थी। उस फिल्म में श्रद्धा कपूर ने जो काम कर दिया था, वह ”चोर निकल के भागा’ में यामी नहीं कर सकी। इस किरदार में नारी सशक्तिकरण को चटाखेदार ढंग से उभारा जा सकता था।
और तब इस फिल्म का इम्पेक्ट हालिया स्थिति से दुगना हो जाता। ये निश्चय ही एक इंट्रेस्टिंग फिल्म है और हमें बांधे रखती है। ये मनोरंजक है लेकिन ऐसा लगता है कि एक लज़ीज़ केक बनाकर शेफ उस पर चेरी लगाना भूल गया। फिल्म में शरद केलकर और इंद्रनील सेनगुप्ता की रोचक भूमिकाएं हैं। इन दोनों के कारण दर्शक की दिलचस्पी बनी रहती है। कुल मिलाकर ‘चोर निकल के भागा’ अपनी एकमात्र कमी के साथ मनोरंजक फिल्म है। एक्शन-थ्रिलर-सस्पेंस पसंद करने वाले दर्शकों को ये पसंद आएगी।