फिल्म समीक्षा
जुरासिक वर्ल्ड : फॉलन किंगडम
निर्देशक : जे बायोना
स्टार कॉस्ट : ब्राइस डल्लास, क्रिस प्रेट, जेफ़ गोल्डब्लम, जस्टिस स्मिथ
जुरासिक पार्क का एक संवाद बड़ा मशहूर हुआ था। ‘भगवान ने डायनासोर बनाए, उसके बाद भगवान ने मनुष्य को बनाया, फिर मनुष्य ने भगवान को नष्ट किया और पुनः डायनासोर बनाए। ये संवाद जुरासिक पार्क की संपूर्ण परिभाषा कह देता है। विलुप्त हो चुकी प्रजाति को पुनः बनाने का प्रयास करना ईश्वर की स्वाभाविकता नष्ट करने प्रयास कहा जाएगा। जुरासिक पार्क सीरीज का पांचवा भाग प्रदर्शित ही चुका है। जुरासिक वर्ल्ड : फॉलन किंगडम को विश्वभर से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। फिल्म की बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट उत्साहजनक है।
जुरासिक वर्ल्ड : फॉलन किंगडम की कहानी वहीं से शुरू हुई है, जहाँ पिछली बार इसे विराम दिया गया था। जेनेटिक इंजीनियरिंग से जन्मी ‘ब्लू’ को हथियार बनाने के लालच ने जुरासिक थीम पार्क को बर्बाद कर दिया था। एक विशाल डायनासोर अपने बाड़े से निकल भागा था और देखते ही देखते कैद किये डायनासोर की बीस से अधिक प्रजातियां निकल भागी थी। पांचवे भाग में दिखाया गया है कि कुछ हथियारों के सौदागर ‘ब्लू’ को हासिल कर उसके डीएनए में परिवर्तन करना चाहते हैं। डायनासोर का निवास टापू खतरे में है। ज्वालामुखी विस्फोट होने के बाद मानव निर्मित इस प्रजाति का अस्तित्व खतरे में आ चुका है।
ब्लू को बचपन से पालने वाला ओवन ग्रिडी और क्लेयर डेयरिंग मिलकर तय करते हैं कि ब्लू और अन्य प्रजातियों को हथियारों के सौदागरों से किसी भी तरह बचाएंगे। जुरासिक पार्क की सभी पांच फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धुंआधार कामयाबी हासिल की है। इन फिल्मों की पटकथाओं पर कई साल काम चलता है। विशेष प्रभाव वाले दृश्यों में जबरदस्त मेहनत की जाती है। तब कहीं जाकर ढाई घंटे का जबरदस्त रोमांच हासिल होता है। लिहाजा इस फिल्म में आपको रोमांच की कोई कमी नहीं होने वाली है। पहले मिनट से आखिरी मिनट तक दिल स्पीड से धड़कता रहेगा।
निर्देशक शुरुआती सीक्वेंस से ही रोमांच पैदा करने में सफल रहे हैं। इस दृश्य में एक टीम किसी खास मृत डायनासोर का दांत निकालने के लिए टापू पर उतरती है। फिल्म के निर्देशक जे बायोना हैं लेकिन ऐसा लगता है कि कई दृश्यों को धरातल पर लाने में पीछे से ‘स्टीवन स्पीलबर्ग’ का अदृश्य हाथ भी अनुभव होता है। स्पीलबर्ग की फिल्म है तो जाहिर है कि तकनीक का बेहतर इस्तेमाल किया गया है। 1993 से लेकर अब तक स्पीलबर्ग के डायनासोर तकनीकी रूप और प्रभावी होते चले गए हैं। इस फिल्म के ‘सीजी इफेक्ट’ कमाल के हैं। सीजी(कंप्यूटर जनरेटर) के जरिये सबसे मुश्किल काम होता है डायनासोर की त्वचा बनाना। इसे ऐसा बनाना होता है कि वास्तविक दृश्यों में मिक्सअप होकर ये नकली न नज़र आए।
ये फिल्म अपने परिवार के साथ देखी जा सकती है। बच्चों के लिए फिल्म एक सार्थक संदेश देकर जाती है कि जेनेटिक इंजीनयरिंग से विलुप्त प्रजातियों को संसार में लाना न केवल मनुष्यता के लिए घातक है बल्कि उन प्रजातियों के साथ भी अन्याय है। जब प्रकृति ने उन्हें जन्मा था तो पृथ्वी पर मानव नहीं थे। वे अतीत के पन्नों में दफन हो चुके हैं। इस सप्ताहांत यदि रोमांच से भरपूर सिनेमा देखना चाहते हैं तो ये फिल्म बेहतर रहेगी। खास तौर से बच्चों के लिए।
URL: jurassic world fallen kingdom review in hindi
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