इसकी कर दो हार सुनिश्चित , तभी देश बच पायेगा ;
अब्बासी – हिंदू नेता के रहते , देश नष्ट हो जायेगा ।
इसको दल के साथ हराओ , कचरे को पूरा साफ करो ;
अन्याय का शासन दूर करो सब , पूरा-पूरा इंसाफ करो ।
सबसे बड़ा भिखारी है ये , पुरस्कार की भीख ले रहा ;
बदले में देश , धर्म को बेचे , खुलेआम नीलाम कर रहा ।
भ्रष्टाचार का बना चैम्पियन , ओलम्पिक में जायेगा ;
स्वर्ण – पदक जितने भी सारे , पुरस्कार में लायेगा ।
पुरस्कार की भीख को लेता , पुरस्कार की रिश्वत देता ;
अंधा-बाबा भी जिसको पाकर , धर्म की उल्टी-शिक्षा देता ।
पुरस्कार की गंदी रिश्वत , कितना भ्रष्टाचार बढ़ रहा ?
जीवन का हर क्षेत्र प्रदूषित , सभी जगह अन्याय हो रहा ।
लकवाग्रस्त कर रहा सबको , देश के जितने संस्थान हैं ;
चुनाव-आयोग तक नहीं अछूता , होता लोकतंत्र प्रस्थान है ।
लोकतंत्र की हालत पतली , लूट – तंत्र का राज है ;
कायर , कमजोर , नपुंसक – नेता , पूरा जंगल – राज है ।
दुनिया में नम्बर एक बन चुका , धोखेबाजी की जो दुनिया ;
जुमलेबाजी हरदम करता , इसकी लफ्फाजी की दुनिया ।
बेमन से भी नहीं सुन रहा , कोई भी मन की बातें ;
भेद खुल रहे हैं तेजी से , प्रकट हो रही सारी घातें ।
देश के सारे अंग गल रहे , इसके चलते मर जायेगा ;
संजीवनी है धर्म का शासन , नवजीवन तब पायेगा ।
भ्रष्टाचार की राजनीति में , महाशून्य आने वाला है ;
देश की किस्मत जाग चुकी है ,अब्बासी-हिंदू जाने वाला है ।
पांच – माह बस शेष बचे हैं , परिवर्तन हो जायेगा ;
धर्म के दुश्मन जितने नेता , मुँह काला हो जायेगा ।
अंधकार पापों का मिटाने , धर्म का सूरज आया है ;
परमश्रेष्ठ हिंदूवादी-दल , “ एकम् सनातन भारत” आया है ।
हिंदू-जनता समझ चुकी है , सबसे पहले क्या करना है ?
सबसे पहले धर्म बचाना , तब ही सब कुछ बच पाना है ।
हजार – बरस का अंधकार – युग , पूरी तरह मिटाना है ;
वामी,कामी,जिम्मी,सेक्युलर , अब्बासी-हिंदू को जाना है ।
धर्म -’सनातन संजीवनी – बूटी , भारतवर्ष बच जायेगा ।
“एकम् सनातन भारत” दल ही , “राम-राज्य” को लायेगा ।