देश तोड़ने का एजेंडा , इसकी मिली सुपारी है ;
नोबेल – प्राइज के बदले में , राष्ट्र टूटने की बारी है ।
चुन – चुन कर मंदिर तोड़ेगा , गलियारा बनवायेगा ;
इसी तरह से हर मंदिर पर , ये कब्जा करवायेगा ।
जागो ! अब तो जागो हिंदू , वरना जाग नहीं पाओगे ;
जब जीवित ही नहीं बचोगे , तब कैसे जग पाओगे ?
कालनेमि-राक्षस-मायावी , बजरंगबली तक धोखा खाये ;
तुम कैसे पहचान सकोगे ? तुम तो पूरे पगलाये ।
पर जो तुमको बुद्धि मिली है , कुछ तो इस्तेमाल करो ;
क्या तुम इतने मूढ़ बन चुके ? तो फिर जाके वहीं मरो ।
अगर जरा भी बुद्धि शेष है , कालनेमि को पहचानो ;
बजरंगबली का मार्ग पकड़ लो, धर्म की हर बात को मानो ।
अपने को असहाय न मानो , विकल्पहीन अब नहीं है हिंदू ;
“हिंदू का ब्रह्मास्त्र” है “नोटा” , बच न सके अब्बासी-हिंदू ।
अब्बासी – हिंदू है रावण , सीता माँ को हरने आया ;
भारत- माता सीता ही समझो , उसे मिटाने ही ये आया ।
भारत मां की रक्षा करने , हिंदू को आगे आना होगा ;
“नोटा” का ब्रह्मास्त्र चला कर , हिंदू – राष्ट्र बनाना होगा ।
हिंदू- राष्ट्र बनेगा भारत , भारत- माता बच जायेगी ;
पहले भी दोनों बांह कटी थीं , फिर से वे जुड़ जायेंगी ।
सदियों पहले भारत जैसा , वैसा ही रूप निखर आयेगा ;
पूरा भारत – वर्ष हमारा , केसरिया लहरायेगा ।
बस “नोटा” ही पकड़े रहना , ये ब्रह्मास्त्र तुम्हारा है ;
कोई भी दल नहीं हमारा , पक्का – संकल्प हमारा है ।
सारे दल हैं धर्म के दुश्मन , इनको सबक सिखाना है ;
किसी भी दल का या निर्दल हो , कट्टर-हिंदू ही जिताना है ।
जहां नहीं हो कट्टर-हिंदू , “नोटा” हथियार चलाना है ;
ऐसे सभी चुनाव रद्द हों , तनिक नहीं घबराना है ।
जितने मुट्ठी-भर जीतेंगे , बहुसंख्यक होंगे कट्टर – हिंदू ;
उनकी ही सरकार बनेगी , मटियामेट अब्बासी – हिंदू ।
सबसे उत्तम मार्ग यही है , भारत की रक्षा करने का ;
या फिर “इकजुट-भारत” आये , तो फिर उसे जिताने का ।
सर्वश्रेष्ठ दल “इकजुट-जम्मू”, “इकजुट-भारत” इसे बनाओ;
भारत – मां की रक्षा करने , सारे हिंदू जुट जाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”