चरित्रहीनता , रिश्वतखोरी , भ्रष्टाचार का नाश हो ;
अब्बासी – हिंदू इनका संरक्षक , उसका पूर्ण-विनाश हो ।
सभी समस्याओं की जड़ है ये , भ्रष्टाचार सुहाता है ;
कदम – कदम पर रिश्वतखोरी , अत्याचार बढ़ाता है ।
बुद्धि भ्रष्ट हो जाती उसकी , जिसने धर्म को छोड़ दिया ;
डीएनए भी वही मिलाता , मंदिर-मूर्ति को तोड़ दिया ।
धर्म से इनको डर लगता है , उन्मुक्त यौन-जीवन भाता ;
धर्म की मर्यादा से डरता है , मजहब को ये गले लगाता ।
शांति का मजहब कहने वाला , बहुत बड़ा पाखंडी है ;
हिंदू-जनता को जानना होगा , इसकी काठ की हांडी है ।
इसकी हांडी में आग लगाओ , सत्ता से इसे हटाना है ;
हिंदू ! भीष्म-प्रतिज्ञा कर लो , अच्छी-सरकार बनाना है ।
व्यक्तिवाद सबसे गंदा है , इसको कूड़े-कचरे में डालो ;
लोकतंत्र का जो दुश्मन है , उसको आख़िर क्यों झेलो ?
नया – वर्ष आने वाला है , साल – पुराना जाता है ;
नये – वर्ष में नया हो नेता , जिसका भी धर्म से नाता है ।
जो भी धर्म – मार्ग में होगा , कभी नहीं वो फिसलेगा ;
अब्राहमिकों की विषकन्या के , चक्कर में न आयेगा ।
नेता ढूँढो पत्नी वाला , एक पत्नीव्रत का पक्का हो ;
अथवा हो योगी – सन्यासी , भीष्म – पितामह जैसा हो ।
ये कामी, क्रोधी, लालची , ये कायर, कुटिल, कपूत है ;
कितना गंदा अब्बासी – हिंदू , अब्राहमिकों का दूत है ।
भारत को अपना देश न माने , हिंदू-धर्म का दुश्मन है ;
मंदिर तोड़ करे गलियारा , मजहबवादी इसका मन है ।
चरित्रहीन , अज्ञानी , कायर , ऐसे हिंदू ही इसके साथ ;
काला-साम्राज्य बनाया इसने , जेहादी-गुंडों का ये नाथ ।
जजिया की लूट मचा रखी है , हिंदू-हक को छीन रहा ;
अब भी हिंदू न संभला तो , अंतिम-रण में खेत रहा ।
पाँच-माह ही शेष बचे हैं , अंतिम-रण होने वाला है ;
हिंदू के जीवन-मृत्यु का निर्णय , इसमें होने वाला है ।
यदि हिंदू को जीवित रहना , अच्छी-सरकार बनानी होगी ;
भय – लालच को परे हटकर , हिंदू – सत्ता लानी होगी ।
हिंदू के सुख-दुख का साथी , “एकम् सनातन भारत” दल ;
धर्मनिष्ठ हिंदू-वादी दल , एकमात्र हिंदू का बल ।