भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया , कोविड का उपचार ;
पूरी व्यवस्था फेल हो गई , मचा है हाहाकार ।
कई गुने दामों में मिलती , ब्लैक में ये अक्सीजन ;
भ्रष्टाचार की महिमा देखो , गायब हुआ इंजेक्शन ।
जमाखोर कालाबाजारी , खुलकर खेले खेल ;
पंगु हो गई राज्य -व्यवस्था , भ्रष्टाचार का खेल |
देश का सबसे बड़ा रोग है , वह है भ्रष्टाचार ;
कोई भी उसको न देखे , बन गया शिष्टाचार |
जब तक भ्रष्टाचार रहेगा , कुछ भी अच्छा न होगा ;
चाहे जितना पैसा फूंको ,.कुछ भी भला नहीं होगा |
राष्ट्र के दुश्मन जिसे बो गये , वो था भ्रष्टाचार ;
अब ये बना है वृक्ष भयंकर , देश हुआ लाचार ।
सत्तर सालों फूला फलता , फल खाये गद्दारों ने ;
बाद में जो सरकारें आयीं , भ्रमित किया मक्कारो ने।
अब तो भ्रम से बाहर निकलो , काम करो सच्चाई से ;
भ्रष्टाचार की सजा मौत हो , फिर सब हो अच्छाई से।
भ्रष्टाचार रहेगा जब तक ,यूं ही सब कुछ चलता रहेगा;
कोविड जैसे रोग रहेंगे , रोगी यूं ही मरता रहेगा ।
इतनी छोटी बात समझ में , क्यों न अब तक है आई ?
कहां ध्यान रहता है तेरा,मन में बात ये क्यूं नहीं आई ?
मन की बात में सब कह देते,भ्रष्टाचार में भी कुछ बोलो;
भ्रष्टाचार को खत्म करो अब ,द्वार तरक्की के खोलो।
जितने काम तुझे है करने , उनमें यही रुकावट है ;
ठोस काम कुछ भी न होता , सब में मिली बनावट है।
तुझसे आशा बहुत राष्ट्र की ,अब न पीछे हट सकता ;
भ्रष्टाचार हटाने को , सब कुछ तू ही कर सकता ।
मनका सारा संशय त्यागो ,दृढप्रतिज्ञ अब हो जाओ ;
कोमलता अब सारी त्यागो , फौलाद सरीखे हो जाओ ।
आपत्काल का धर्म निभाओ , इमरजेंसी ले आओ ;
चाहे जितनी सख्ती कर लो , पर भ्रष्टाचार हटाओ ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचयिता :बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”