कोल्हू का बैल : गधे का बोझा
पढ़े – लिखे भी महामूर्ख हैं , हिंदू हैं बहुतायत में ;
राजनीति अब तक न समझी , जान फंसी है सांसत में ।
खाया , कमाया और अघाया , हिंदू इसी में मस्त है ;
टैक्स-बोझ की लूट न समझें , इसमें पूरे सुस्त हैं ।
कोल्हू का बैल बना है हिंदू , बोझ गधे का लादा है ;
डंडा खाता बोझ उठाता , कभी न कहता ज्यादा है ।
गाय – दुधारू बना हुआ है , सरकारें सब दुहती हैं ;
हिंदू का धन लूट – लूटकर , ये सरकारें चलती हैं ।
क्यों इतना निरीह है हिंदू ? क्यों अन्याय को सहता है ?
क्यों अपनी गर्दन कटवाकर , अपने ही देश में मरता है ?
इन सबका बस एक है उत्तर, अपने धर्म से रखी है दूरी ;
शत्रु-मित्र का भेद न जाने , केवल नेता की मजदूरी ।
अपने नेता को ठीक से जानो , छुरा पीठ पर मार रहा है ;
कायर,कमजोर,नपुंसक नेता है, इसी से हिंदू हार रहा है ।
किले का फाटक यही खोलते , पूरे – पूरे गद्दार हैं ;
नब्बे-प्रतिशत हिंदू-नेता , हिंदू के दुश्मन के यार हैं ।
अब्राहमिको की कठपुतली है , वे ही इसे नचाते हैं ;
पुरस्कार की गंदी रिश्वत , दे दे कर बहलाते हैं ।
धार्मिक – शिक्षा से दूर है हिंदू , गंदी – शिक्षा पाते हैं ;
साजिश है सरकारी पूरी , झूठा-इतिहास पढ़ाते हैं ।
सरकारों में भरे हुये हैं , चरित्रहीन व भ्रष्टाचारी ;
कामी , क्रोधी और लालची , कितने गिरे हुये व्यभिचारी ?
राजनीति की यही कहानी , बार-बार दोहरायी जाती ;
अब हिंदू को जागना होगा , मुट्ठी से रेत खिसकती जाती ।
आधी जंग तो हार चुके हो , ऐसे तो पूरी हारोगे ;
कब तुम राजनीति सीखोगे ? अच्छी-सरकार बनाओगे ?
आने वाला है स्वर्णिम अवसर , अच्छी-सरकार बनाने का ;
“एकम् सनातन भारत” दल आया , हिंदू ! इसे जिताने का ।
सत्यनिष्ठ – हिंदूवादी है , “एकम् सनातन भारत” दल ;
हिंदू ! इस पर करो भरोसा , इसे बनाओ अपना बल ।
बिन इसके कल्याण नहीं है , अच्छी-सरकार बनाना होगा ;
“एकम् सनातन भारत” लाकर “राम-राज्य” को पाना होगा ।