आदिपुरुष सी गंदी-पिक्चर
सदियों तुमने धोखा खाया , हिंदू ! अब मत धोखा खाओ ;
अब्बासी-हिंदू नेता पहचानो , हिंदू ! इससे जान बचाओ ।
धर्म – संस्कृति का दुश्मन है , कितने मंदिर तुड़वा देगा ?
तीर्थ – दिव्यता नष्ट – भ्रष्ट कर , गलियारा बनवा देगा ।
अब्राहमिक-ग्लोबल-एजेंडा , ज्यादातर हिंदू नहीं जानते ;
केवल कमाया-खाया-अघाया, कभी धर्म पर ध्यान न देते ।
शत्रुबोध मिट चुका है पूरा , अब्बासी-हिंदू की साजिश है ;
झूठे-इतिहास की गंदी-शिक्षा , गंदी-फिल्में सब साजिश हैं ।
श्री रामचंद्र मर्यादा पुरुषोत्तम , सृष्टि के पालनहार हैं ;
आदिपुरुष सी गंदी – पिक्चर , कितना तिरस्कार है ?
निर्माता – निर्देशक – लेखक , ये षड़यंत्र का हिस्सा हैं ;
अब्राहमिक – षड्यंत्र चल रहा , बहुत पुराना किस्सा है ।
अब्राहमिक हैं धर्म के दुश्मन , हिंदू से इनको नफरत है ;
सभी लालची हिंदू – नेता , पूंछ हिलाने की फितरत है ।
पालतू – नेता हैं जितने , इनके आदेशों के गुलाम हैं ;
धर्म – सनातन के विरुद्ध ही , उनके सारे काम हैं ।
अंतिम – आशा हिंदू – जनता , सही तरह से वोट करो ;
माहौल देश का गर्म हो रहा , सही वक्त पर चोट करो ।
धीरे – धीरे जाग रही है , भारत की हिंदू – जनता ;
विकल्प मिल चुका है हिंदू को , डरे हुये हैं लालची नेता ।
ठोस विकल्प मिला हिंदू को , “एकम् सनातन भारत” का ;
धर्मपक्ष में निर्णय होगा , फिर से महाभारत का ।
विजय सदा ही धर्म की होती , देर भले ही लग जाये ;
साल पिछत्तर बीत चुके हैं , अब और समय न बीतने पाये ।
इसी बार ही वर्ष के भीतर , विजय-पताका फहरायेगी ;
हिंदू-जनता का दृढ़ निश्चय है , अच्छी – सरकार बनायेगी ।
अब तक धोखा देने वाले , मिट्टी में मिल जायेंगे ;
वामी , कामी ,जिम्मी , सेक्युलर , अब्बासी – हिंदू जायेंगे ।
धर्म का शासन देश में होगा , गजवायेहिंद कभी न होगा ;
अब्राहमिक – ग्लोबल – एजेंडा, उसका मुँह काला होगा ।
अभी नहीं तो कभी नहीं , इसको हिंदू जान चुका है ;
आस्तीन के सांप है जितने , हिंदू उनको पहचान चुका है ।
धरी रहेगी नाटक – नौटंकी , पाप का भांडा फूटेगा ;
“एकम् सनातन भारत” आकर , पाप की हांडी फोड़ेगा ।
“जय सनातन-भारत”,रचनाकार:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”