बॉलीवुड – अब्बासी हिंदू , दो पहलू हैं एक ही सिक्का ;
धर्म – संस्कृति के ये दुश्मन , बहिष्कार हो पूरा इनका ।
बुद्धिभ्रष्ट है इन दोनों की , हुआ मानसिक खतना है ;
एक – दूजे से सांठगांठ है , हिंदू को बच कर रहना है ।
एक – दूजे को प्रमोट करें ये , आपस में पीठ खुजाते हैं ;
सेंसर-बोर्ड की ऐसी-तैसी , गंदी-फिल्में चलवाते हैं ।
भले लोग जीवित न बचते , दिशा – सुशांत के हत्यारे ;
जागो हिंदू ! अब तो जागो , वरना फूटे भाग्य तुम्हारे ।
फौरन अपना नेता बदलो , चरित्रवान को लाना है ;
सत्यनिष्ठ हो , परम-साहसी , ऐसा नेतृत्व बनाना है ।
अब्राहमिक एजेंडा क्या है ? हिंदू – धर्म मिटाना है ;
सारे मंदिर तोड़ – तोड़ के , गलियारा करवाना है ।
इंटरनेशनल कन्वर्जन माफिया,भारत को लिये निशाने पर ;
कठपुतली अब्बासी – हिंदू , नाचे इनके ही नचाने पर ।
तरह-तरह के स्वांग बनाता , नाटक-नौटंकी करता है ;
भोला – भाला हिंदू बेचारा , गला कटाकर मरता है ।
हिंदू लगभग हार चुका है , अंतिम किला ही शेष है ;
अब्बासी-हिंदू गर पुन: आ गया , समझो हिंदू नि:शेष है ।
अज्ञान की काली रात को त्यागो,हिंदू ज्ञान का सूरज पाओ;
शत्रु – मित्र का अंतर समझो , शत्रु – बोध को पूर्ण जगाओ।
शत्रु-बोध है कवच तुम्हारा , दुश्मन का हर वार बचाओ ;
अब्बासी-हिंदू को निष्फल कर दो,ऐसी ही रणनीति बनाओ।
“हिंदू का ब्रह्मास्त्र” है “नोटा” , सारे मिलकर इसे चलाओ ;
पार्टी बाजी एकदम छोड़ो , केवल कट्टर-हिंदू को जिताओ ।
किसी भी दल का या निर्दल हो , बस हो केवल कट्टर-हिंदू ;
वरना “नोटा-ब्रह्मास्त्र” चलाओ, बच न सके अब्बासी-हिंदू ।
एक वर्ष ही शेष बचा है , हर क्षण है बहुमूल्य तुम्हारा ;
आर – पार इसमें होना है , मौका मिले न फिर दोबारा ।
स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है , पानी सर तक आ पहुँचा है ;
तेरा नेता नहीं है तेरा , जाने कब का फिसल चुका है ।
महामूढ़ जितने भी हिंदू , अब भी गाल बजाते हैं ;
बुद्धि इनकी घास खा चुकी , गर्दन अपनी कटवाते हैं ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , काल तुम्हारा खड़ा सामने ;
अब भी विजयी हो सकते हो , बस तुम नोटा करो सामने ।