बड़े बहादुर तीस मार खां , वो निकले पुतले से बदतर ;
कठपुतले की डोर कहाँ थी ? सभी जानते ठीक से बेहतर ।
इस पुतले की डोर किधर है ? ये तो है अनबूझ – पहेली ;
खतरा बहुत बड़ा हो सकता , यदि न हल हो उक्त पहेली ।
आतंकवाद है दुनिया भर में , जिसका चरागाह भारत में ;
पुलिस भी जाने से डरती है , ऐसे अड्डे हैं भारत में ।
तुष्टीकरण की माया ऐसी , सुरसा सा मुँह फैलाती ;
वामी , कामी , धिम्मी – नेता , उनकी बंद बोलती होती ।
जिन्ना का तो एक पाक था , यहां देश में भरे पड़े हैं ;
गांधीवाद की काली छाया , नेता दिल से मरे पड़े हैं ।
पूरी छूट है हर गुंडे को , चाहे कोई सड़क को घेरो ;
चाहे जितनी घुसपैठ कराओ , चाहे जितनी भूमि को घेरो ।
देश का नेता चूं न करेगा , हिंदू ही बेमौत मरेगा ;
हिंदू धर्म से क्या है मतलब ? मंदिर का अधिग्रहण करेगा ।
हजार बरस से मंदिर लुटते , जाने कितने टूट रहे ?
ऐसा ही गर चलता रहा तो , भाग्य सभी के फूट रहे ।
भाग्य का सारा चक्कर छोड़ो,भाग्य भरोसे कुछ मत छोड़ो ;
सारे- हिंदू पुरुषार्थ जगाओ , भाग्य का पहिया पूरा मोड़ो ।
राम , कृष्ण के वंशज हो तुम , वीर शिवा , राणा प्रताप हो ;
गुंडों की साजिश में फंसकर ,भूले शौर्य प्रताप को तुम हो ।
झूठे – इतिहास की साजिश थी ये , नेताओं की करनी है ;
महाभ्रष्ट वे सारे नेता , अब तो उनकी मरनी है ।
सारा भेद खुला हिंदू पर , सोशल मीडिया के कारण ;
झूठे नेता बच न सकेंगे , हिंदू चेतना नहीं अकारण ।
भारत की रक्षा करने को , कायर नेता दूर हटाओ ;
परम – साहसी , राष्ट्रभक्त हो , ऐसे नेता को अब लाओ ।
ऐसा नेता कहाँ मिलेगा ? “एकजुट – जम्मू” लेकर आओ ;
जम्मू से गंगा निकली है , पूरे- देश में इसको लाओ ।
“एकजुट-जम्मू””एकजुट-हिंदू””एकजुट-भारत”इसे बनाओ ;
करो – मरो की स्थिति आयी , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , आतंकवाद पिट जायेगा ;
महा – भ्रष्ट नेताओं का ये , चरागाह मिट जायेगा ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”