क्योंकि हिंदू – नेता डरते , इसीलिये हिंदू मरते हैं ;
जबकि नेता पूर्ण सुरक्षित , फिर भी वो डरते रहते हैं ।
इनके खून में धिम्मी रोग है , गुंडों की करें हजूरी है ;
या फिर इनकी बुद्धि भ्रष्ट है , इसका उपचार जरूरी है ।
हिंदू जनता उपचार करे ये , इनकी नाक में दम कर दे ;
जगह-जगह धरना व प्रदर्शन , अनशन व घेराव भी कर दे ।
हरेक तरह से ऐसी – तैसी , इनका जीना दुश्वार करो ;
व्यंग – बाण इन पर सब छोड़ो , हरदम वार पे वार करो ।
बात-बात पर लज्जित करके , चुल्लू भर पानी दे दो ;
फिर भी इनको शर्म न आये , तो चोली घाघर दे दो ।
इस पर भी कुछ काम बने न , तो इनको छुट्टी दे दो ;
परम – साहसी , हिंदू – नेता , उसको तुम सत्ता दे दो ।
डीएनए सबका चेक कराओ , सारे धिम्मी अलग हटाओ ;
करो शुद्ध पूरी पार्टी को अथवा एक नया दल लाओ ।
एक नया दल बन सकता है , इसका तुम विश्वास करो ;
सोशल मीडिया मदद करेगा , उसका इस्तेमाल करो ।
संजय, संदीप, तुफैल, नीरज, अंकुर, यति की बात सुनो ;
सब के सब चाणक्य- विदुर हैं , राष्ट्र धर्म की बात सुनो ।
सही नजर पाकर देखोगे , संकट बहुत भयानक है ;
अभी भी मंदिर टूट रहे हैं , होता हिंदू का पलायन है ।
हिंदू – नेता बने नपुंसक , रोकर दाढ़ी को भिगोते हैं ;
सब के सब हैं बात- बहादुर , केवल गाल बजाते हैं ।
इनका करना नहीं भरोसा , मंझधार में तुम्हें डुबोयेंगे ;
राष्ट्र की नौका छीनो इनसे , अब जल्दी इन्हें भगायेंगे ।
कमी नहीं अच्छे नाविक की , ढूँढ के उनको लाना है ;
हर धिम्मी चुनाव में हारे , हिंदू-योद्धा ही जिताना है ।
ऐसा परम – साहसी योद्धा , हर हिंदू को बनाना है ;
हर बच्चे को फौजी शिक्षा , सच्चा इतिहास पढ़ाना है ।
अस्त्र-शस्त्र धारी हर हिंदू , राम के जैसा बनना है ;
सूर्पनखा की नाक को काटो , रावण का वध करना है ।
भरे पड़े हैं देश में रावण , सूर्पनखा की कमी नहीं ;
राम बनेगा हर हिंदू , अब राक्षस की कोई खैर नहीं ।
आज दशहरे में प्रण कर लो , अभी नहीं तो कभी नहीं ;
बच न सकेगा कोई रावण , शंका इसमें है कोई नहीं ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”