स्वार्थ ,लोभ ,लालच के कारण , हिंदू का बंटाधार है ;
धर्म से दूरी बढ़ाते जाते , यही पतन का आधार है ।
बढ़ रहे सरकारी व अब्बासी-हिंदू, जो हैं पूरे जिम्मी हिंदू ;
फिर भी इनके झांसे में फंसे हैं, अनगिनत अज्ञानी हिंदू ।
कितने पुरस्कार की रिश्वत , जिनका मन डोल चुका है ;
नोबेल – प्राइज का लालच भी , सीमा लांघ चुका है ।
इसके बदले जो भी कीमत , वो सब देगा ;
हिंदू – मंदिर तोड़ – फोड़ कर , कॉरीडोर बना देगा ।
धर्म का कितना बड़ा शत्रु है ? सारे हिंदू जानो ;
ये रावण है कालनेमि है , अब तो पहचानो ।
अभी समय है बच सकते हो , हिंदू ! जागो ;
अज्ञान की निद्रा अपनी त्यागो , ज्ञान में जागो ।
कब से बने हो बंधुआ वोटर ? ये भी जानो ;
तथाकथित हिंदू – वादी दल को , पहचानो ।
विकल्पहीन था हिंदू अब तक , बात सही है ;
सारे दल हिन्दू – दुश्मन हैं , असली बात यही है ।
पर अब धर्म का सूरज आया , सूर्योदय है ;
“एकम् सनातन भारत” हिंदू का , भाग्योदय है ।
अब ये सूरज निकल चुका है , अब न ढलेगा ;
राजनीति के महाकाश में , हरदम चमकेगा ।
हर हिंदू का सहयोग अपेक्षित , सारे हिंदू ! आगे आओ ;
सदियों बाद मिला है मौका , अच्छी सरकार बनाओ ।
केवल अच्छी सरकार ही तुमको , बचा सकेगी ;
वरना गर्दन तेरी , यूँ ही कटा करेगी ।
जब रक्षक ही बने हों भक्षक , ये ही होगा ;
अब्बासी – हिंदू के राज में , गुंडा ही मौज करेगा ।
जिसको है नोबेल का लालच , कुछ न करेगा ;
पूरे भारत में हिंदू ही , बेमौत मरेगा ।
पर अब हिंदू जाग रहा है , विकल्प मिला है ;
“एकम् सनातन भारत” का संकल्प , मिला है ।
शुरू हो चुका अब ये कारवां , नहीं रुकेगा ;
हर हाल में मंजिल पा के रहेगा , तभी थमेगा ।
मंजिल इसकी धर्म – सनातन , जो शाश्वत है ;
पुनः विश्व का गुरु बनेगा , जो भारत है ।