महाविष्णु की कृपा हुयी है
सदा सावधान रहना है , यदि तुमको जीवित रहना है ;
तेरा सबसे बड़ा शत्रु है , अब्बासी – हिंदू से बचना है ।
सावधान रहने का आशय , अज्ञान की निद्रा त्यागना है ;
गंदी – राजनीति भारत की , पूरी तरह समझना है ।
हिंदू ने सदा ही धोखा खाया , अपने ही नेताओं से ;
छुरा पीठ पर मारने वाले , अब्बासी – हिंदू नेताओं से ।
इन सबका उस्ताद था गांधी , हिंदू अब तक भुगत रहा है ;
अब आया है नया संस्करण, हिंदू त्रिशंकु सा लटक रहा है ।
फिर भी होश नहीं हिंदू को , अब तक लगता बेहोश है ;
झूठे-इतिहास की गंदी-शिक्षा , हिंदू उसमें मदहोश है ।
इसका जहर तभी कट सकता , धर्म – सनातन में आओ ;
शत्रुबोध हो पूरा जागृत , शत्रु से अपनी जान बचाओ ।
बहुत ही लटके – झटके वाला , अब्बासी – हिंदू नेता है ;
शांति का मतलब कहने वाला, तुझसे सब कुछ ले लेता है ।
हिंदू को गफलत में करके , उसको कितना लूट रहा है ?
जान ,मान , सम्मान लुट रहा , देखो देश भी टूट रहा है ।
गांधी ने दो किये थे टुकड़े , ये खंड – खंड करवा देगा ;
अब्राहमिक – एजेंडा इसका , गजवायेहिंद करा देगा ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , समय हाथ से खिसक रहा है ;
अबकी बार जो ये सत्ता पाया,तब तू केवल सिसक रहा है ।
निर्णायक क्षण आने वाला , रहना है या मिट जाना है ;
यदि तुझको जीवित रहना है , अच्छी सरकार बनाना है ।
अच्छा शासन , न्याय का शासन , केवल हिंदू-शासन है ;
एकमात्र दल ला सकता है , “एकम् सनातन भारत” है ।
इसको अच्छी तरह से जानो,इसके सातों सिद्धांत को जानो
जब इसका शासन आयेगा, अपनी विपदा का अंत ही मानो
महाविष्णु की कृपा हुयी है , सर्वश्रेष्ठ ये विकल्प मिला है ;
सदियों हिंदू भटक रहा था , अब सर्वोत्तम संकल्प जगा है ।
तुझको सब कुछ वापस पाना है , धर्म-सनातन में आना है ;
अपना सारा संशय त्यागो,”एकम् सनातन भारत” लाना है ।
लोकतंत्र जीवित रहता है , जब अच्छी – सरकार हो ;
यहां तो अंतिम-सांस गिन रहा , खड़ा मौत के द्वार हो ।
लोकतंत्र जिंदा रखना है , अपनी जान बचाना है ;
इसका तो बस यही मार्ग है , अच्छी – सरकार बनाना है ।