कामी , वामी , टेरेरिस्ट व धिम्मी , ये चार ;
ओढे लबादा सेक्यूलर , पर पक्के मक्कार ।
दुश्मन हैं ये राष्ट्र के , ये सारे गद्दार ;
हिंदू से चिढ़ है इन्हें , पर गुंडों के यार ।
दुराचार मन भाता इनके , भ्रष्टाचार से प्यार ;
बहुसंख्यक वोटर मगर , हरदम इनकी सरकार ।
कानून नपुंसक कर दिया , बलात्कार की बाढ़ ;
अपराधी हैं बड़े-बड़े , खून लगा है दाढ़ ।
कानून का शासन इन्हें न भाता ,गुंडई की दरकार ;
लगाम नहीं कोई इन पर , अक्षम है सरकार ।
झूठा इतिहास पढ़ाया जाता , किया राष्ट्र बर्बाद ;
हिंदू भटक रहा दर-दर में , गुंडे हैं आबाद ।
राष्ट्र के जानी दुश्मन हैं जो, उनका होता अभिषेक ;
खुलेआम जो राष्ट्र को तोड़ें , नेता ऐसे हैं अनेक ।
जिनको होना चहिये अंदर , मिली पुलिस की रक्षा ;
जहरीले सांपों को दूध पिलाते ,खतरे में देश सुरक्षा।
नाकारा हाथों में रहती , शासन की हर डोर ;
घोर अंधेरा छाया रहता , कभी न होती भोर ।
सबसे बदनसीब भारत में , वो तो केवल हिंदू ;
धिम्मी – नेता भरे पड़े हैं , मिटा रहे हैं हिंदू ।
दुश्मन से भी ज्यादा घातक , ये धिम्मी है होता ;
सबका साथ है बोला करते , डीएनए भी मिलाता ।
जब तक धिम्मी कौम रहेगी , हिंदू मरता रहेगा ;
जब तक झूठा- इतिहास रहेगा , धिम्मी सदा रहेगा ।
धिम्मी रोग है बड़ा भयंकर , राष्ट्र को खा जाता है ;
राष्ट्रवाद ही दवा है इसकी , धिम्मीवाद जाता है ।
सच्चे – इतिहास को पढ़ते-पढ़ते , राष्ट्र-वाद आयेगा ;
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , राम – राज्य आयेगा ।
राम – राज्य के आने पर ही , मानवता ये बचेगी ;
वरना खतरे में मानवता है , दुनिया नहीं रहेगी ।
अंतिम उपाय केवल ये ही है,पूरी दुनिया को बचाने को;
वरना दुष्टों की काली छाया,आतुर है दुनिया खाने को।
दुष्ट कौन है ? ठीक से समझो ,इसमें समझ तुम्हारी ;
सही राह का करूँ इशारा , जिम्मेदारी है हमारी ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”