कर्नाटक में धूल को चाटा , भारत में क्या चाटेगा ?
काशी में अक्षयवट काटा , सत्यानाश ही पायेगा ।
जिसने भी मंदिर तोड़े हैं , वंशनाश हो जाता है ;
पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण , नामोनिशां मिट जाता है ।
भारतीय चापलूस पार्टी , अब भी कुछ न सीखेगी ;
काशी विध्वंस कराने वाले , मिट्टी पलीद तेरी होगी ।
कमर हिलायी जिनके कारण , गद्दारी का है इतिहास ;
छुरी पीठ पर मारने वाले , उन पर तुझको है विश्वास ।
या तो तू है महामूर्ख या , उनका ही एजेंट है ;
दोनों ही हालत में तुझको , अब जाना अर्जेंट है ।
कुर्सी से जितना चिपकेगा , नीचे ही नीचे खिसकेगा ;
तेरे कर्मों के दलदल में , पूरा दल ही डूबेगा ।
सारा तेल चुक गया तेरा , दीपक जल्दी बुझ जायेगा ;
कोई नाम न लेवा होगा , केवल गद्दार कहावेगा ।
इतिहास का जो भी सबसे गंदा , टूटा कूड़ेदान है ;
उसी में तू फेंका जायेगा , अब केवल अपमान है ।
तूने जितने कृत्य किये हैं , घोर-नरक के कारक हैं ;
नहीं है इनका कुछ प्रायश्चित , सब के सब ही मारक हैं ।
कई जन्मों तक भोगना होगा , तब भी न कट पायेंगे ;
कभी नहीं सुख-शांति मिलेगी , केवल शाप ही आयेंगे ।
सिद्धांत कर्म का सदा अटल है, तेरा भी इंसाफ ही होगा ;
अब्राहमिक – एजेंडा तेरा , कभी नहीं पूरा होगा ।
पुण्य – भूमि भारत की भूमि है , कब्रिस्तान नहीं होगी ;
तेरे सारे आका सुन लें , मनमर्जी पूरी न होगी ।
धर्म – सनातन सदा रहा है , और सदा रह पायेगा ;
जो भी इससे माने शत्रुता , मिट्टी में मिल जायेगा ।
कितना तुझको समझाया था ? पर तू कभी नहीं माना ;
विनाश काले विपरीत बुद्धिः , अब तक तूने न जाना ।
करनी का फल मिलने लगा है, जल्दी ही तू मिट जायेगा ;
“एकम् सनातन भारत” आयेगा,न्याय का शासन लायेगा ।
रात अंधेरी बीत जायेगी , धर्म का सूरज आयेगा ;
जितना कष्ट सहा हिंदू ने , उन सबसे मुक्ति पायेगा ।
धर्म-सनातन मार्ग पे चलकर , हिंदू सब कुछ पा जायेगा ;
हजार-बरस से भटक रहा था , अब मंजिल को पायेगा ।