स्वार्थ , मोह , भय , भ्रष्टाचार , हिंदू के ये दुश्मन चार ;
इसी वजह कमजोर हो गया , झेला करता अत्याचार।
हजार साल से भुगत रहा है पर फिर भी नहीं हुआ होशियार
हरदम कटता मरता रहता , पक्षपात का बना शिकार।
सत्तर बरस सत्ता नालायक , चरस बो गया था गांधी ;
सबसे बड़ा शत्रु हिंदू का , मोहनदास करमचंद गांधी ।
हिंदू नेता महामूर्ख हैं , पूज रहे हैं अभी भी गांधी ;
नामोनिशां मिटे गांधी का , अब तो लाओ ऐसी आंधी ।
हर प्रतिमा गांधी की तोड़ो , उसकी समाधि कचरे में फेंको ;
जब तक गांधी नहीं मिटेगा , इसी तरह से रोते – झींको ।
गांधी के चेलों की साजिश , हमको झूठा इतिहास पढ़ाया ;
राष्ट्र के रोल मॉडल थे जितने , बदनियती से उन्हें छुपाया ।
ताकि हिंदू भ्रमित रहे व अपना गौरव भूले सारा ;
गुंडों का महिमामंडन है , उनको कहते हैं बेचारा ।
झूठे इतिहास को पढ़ते-पढ़ते , बर्बाद हुई पूरी पीढ़ी ;
धर्म – संस्कृति भुला चुके हैं , गर्त में जाती इन की सीढ़ी ।
अब तो ये बर्बादी रोके , देश की हिंदूवादी सत्ता ;
फौरन सच्चे इतिहास को लाओ ,वरना चली जाएगी सत्ता ।
जो भी शिक्षा – नीति देश की , उसकी पूरी करो समीक्षा ;
नैतिक शिक्षा हर हालत में , अनिवार्य करो फौजी शिक्षा ।
सबसे पहले है अनुशासन , यही एकता को लाता है ;
चरित्र राष्ट्र का तभी बनेगा , राष्ट्रधर्म भी जग जाता है ।
राष्ट्र के रोल मॉडल हो आगे , गुंडे और लफंगे भागे ;
स्वार्थ ,मोह ,भय नहीं रहेगा , केवल राष्ट्र -धर्म हो आगे ।
भ्रष्टाचार भी हट जाएगा , कानून का शासन आ जाएगा ;
धर्म की जय – जय कार रहेगी , केसरिया रंग छा जाएगा ।
आगे बढ़ने का हर मौका , सबको एक सामान मिलेगा ;
तुष्टीकरण फिर कहीं न होगा , आरक्षण भी हट जायेगा ।
केवल हिंदू – धर्म ही ऐसा , सब को एक बराबर समझे ;
इससे उलट है जितने मजहब ,औरों को दुश्मन ही समझे ।
नेता जब बेईमान न होगा तो फिर अल्पसंख्यकवाद न होगा
भ्रष्टाचार खत्म हो सारा , वोट – बैंक भी नहीं रहेगा ।
ये सारा एकदम है संभव , देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ ;
केवल धर्म ही ऐसी ताकत , जो भी चाहो उसको पाओ ।
“जयहिंद- वंदेमातरम”,रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”