ई वी एम की करो सुरक्षा , सबको मिलकर करनी होगी ;
चुनाव आयोग ने खोया भरोसा , सुप्रीम कोर्ट से करनी होगी ।
भारत का लोकतंत्र खतरे में,अब्बासी हिंदू कुछ भी कर सकता ;
मंदिर तुड़वाकर हिंदूद्रोही , गजवायेहिंद भी ला सकता ।
केवल अपने लिए ये जीता , लोकतंत्र को नष्ट कर रहा ;
ई वी एम है वोट-संगणक , जिसको कि ये भ्रष्ट कर रहा ।
हिंदू का सबसे बड़ा जो दुश्मन , लोकतंत्र का भी दुश्मन ;
लोकतंत्र के जितने रक्षक , उन सबका ये पक्का-दुश्मन ।
इससे ई वी एम को खतरा , उसको खतरे से बचाना है ;
सुप्रीम – कोर्ट में याचिका करके , मतपत्रों को लाना है ।
“एकम् सनातन भारत” अध्यक्ष “अंकुर-शर्मा” कर सकते हैं ;
कई बार ये दिखा चुके हैं , दुष्टों को धूल चटा सकते हैं ।
दुष्ट दमन दल इसको समझो , “एकम् सनातन भारत” दल ;
सारे दुष्टों का दमन करेगा , एकमात्र हिंदूवादी दल ।
मची खलबली है दुष्टों में , परमदुष्ट अब्बासी – हिंदू ;
अब्बासी-हिंदू भी समझ चुका है , अब न माफ करेगा हिंदू ।
इसका दिया है बुझने वाला , बुझते – बुझते भभकेगा ;
सारे घोड़े खोल चुका है , अब ई वी एम को लपकेगा ।
ई वी एम को हमें बचाना , पूरी रक्षा करनी है ;
आगामी चुनाव मतपत्रों से हों , इसकी व्यवस्था करनी है ।
आपस के सब झगड़े छोड़ो , इस मुद्दे पर नेक बनो ;
लोकतंत्र की रक्षा करने , सारे वोटर एक बनो ।
मिलकर आवाज उठानी होगी , ई वी एम की पूरी चौकसी ;
या फिर यही मार्ग बचता है , मतपत्रों की करो वापसी ।
भारत के जितने भी वोटर , मिलकर सब आवाज उठाओ ;
निष्पक्ष चुनाव हर हालत में हो,चुनाव आयोग निष्पक्ष बनाओ।
अब्बासी – हिंदू महाधूर्त है , मरता – मरता मर जायेगा ;
जाते – जाते इस भारत को , लहूलुहान कर जायेगा ।
सिद्धांत कर्म का सदा अटल है , जैसी करनी वैसी भरनी ;
अब्बासी-हिंदू नेता को चुनकर , हिंदू ने खुद कर ली मरनी ।
माना तुमने धोखा खाया , पर अब धोखा मत खाना ;
अबकी बार के आम चुनाव में , तुम अच्छी सरकार बनाना ।
अब न कहना विकल्प नहीं था , अब ये बहाना नहीं चलेगा ;
“एकम् सनातन भारत” आया है, परमश्रेष्ठ ये विकल्प बनेगा ।
“जय सनातन-भारत”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”