“राम-राज्य” तब ही पाओगे
इतने अपराध किये हैं इसने , उमरकैद हो सकती है ;
देशद्रोह का जुर्म भयानक , फाॅंसी भी हो सकती है ।
इसीलिये डर रहा है इतना , जान दिये देता सत्ता को ;
किसी भी हद तक जा सकता है,ठीक से समझो इस नेता को।
ये नेता अब्बासी – हिंदू , धोखे से नेता बन बैठा ;
विश्व का सबसे बड़ा ये ठग है , देश की छाती पर बैठा ।
इसकी लफ्फाजी-जुमलेबाजी , हिंदू अब भी ठगा हुआ है ;
पता नहीं कब तक भोगेगा ? जब तक मूरख बना हुआ है ।
हिंदू की आंखों का पर्दा है , अज्ञान ,स्वार्थ ,भय ,भ्रष्टाचार ;
सबसे बड़े यही हैं दुश्मन , एक से बढ़कर एक हैं चार ।
हिंदू ! अपने ये दुश्मन मारो , इन चारों को मारना होगा ;
ज्ञानाग्नि ही इनको भस्म करेगी , जल्दी ही करना होगा ।
दूर करो सारा अंधियारा , जो प्रेस ,मीडिया, टीवी लाया ;
बेईमानी से झूठ परोसें , हिंदू को सदा ही मूर्ख बनाया ।
हिंदू ! छोड़ो मूर्ख का बनना , कर लो चित्त प्रकाशित अपना ;
धर्म-सनातन प्रकाश-पुंज है , दूर करो अंधियारा अपना ।
सबसे पहला कदम यही हो, ढोंगी-धर्माचार्यों से करो किनारा ;
नब्बे-प्रतिशत तक ये ढोंगी हैं, लूट-खसोट ही इनका सहारा ।
हिंदू – धर्म कर दिया चौपट , ऐसे ही बाबाओं ने ;
कई हजारों मंदिर तोड़े , इनके ही आकाओं ने ।
अब्बासी-हिंदू है इनका आका , महाकुटिल है ये गद्दार ;
अब्राहमिक सब उसके आका , धर्म मिटाने को तैयार ।
धर्म-सनातन के दुश्मन हैं , पूरी-दुनिया में भरे हुये ;
अब्बासी-हिंदू इनका दलाल है , अज्ञानी-हिंदू डरे हुये ।
यथास्थितिवाद है डर के कारण , घर से बाहर न निकलें ;
कीड़े-मकोड़े सा उनका जीवन , अन्याय के विरुद्ध न बोलें ।
हिंदू ! अच्छी तरह से जानो , जो डरता है वो मरता है ;
शेर-वृत्ति वाला जो हिंदू , इतिहास की वो रचना करता है ।
स्वर्णिम-इतिहास में नाम आयेगा, गौरवान्वित होगा पूरा-कुल ;
लोक और परलोक में दोनों , उसका जीवन पूर्ण-सफल ।
सारे हिंदू ! आंखें खोलो , अपना जीवन सफल बनाओ ;
अबकी चुनाव में हर हालत में, अब्बासी-हिंदू को परे हटाओ ।
धर्मनिष्ठ सरकार बनाओ , “एकम् सनातन भारत” दल जैसी ;
“राम-राज्य” तब ही पाओगे , सेक्यूलरिज्म की ऐसी-तैसी ।