श्वेता पुरोहित। सात्यकि सहित जनार्दन का शाल्व नगर में जाना, हंस से मिलना तथा हंस का जनार्दन से कार्यसिद्धि के विषय में पूछना
वैशम्पायनजी कहते हैं – ब्राह्मण से ऐसा कहकर श्रीकृष्ण ने सात्यकि से फिर कहा- ‘शिनिनन्दन! तुम इन ब्राह्मण देवता जनार्दन के साथ जाकर मेरे कथनानुसार उन दोनों भाई हंस और डिम्भक से कहो। मैंने जो कुछ कहा है, वह सब उन दोनों के सामने जाकर कहो, जिससे हम लोगों का युद्ध-स्थल में शीघ्र समागम हो। उक्त उद्देश्य की सिद्धि के लिये तुम बलपूर्वक भी बात कर सकते हो।
यदुकुलतिलक सात्यके! तुम धनुष लेकर जाओ; हाथ में गोह के चमडे के बने दस्ताने को भी बाँध लेना, एकमात्र अश्वके साथ जाना, दूसरे किसी सहायक को साथ न लेना’। सात्यकि ने ‘बहुत अच्छा’ कहकर एक शीघ्रगामी अश्वपर आरूढ़ हो वहाँ से जाने का विचार किया। उन्होंने कोई दूसरा सहायक साथ नहीं लिया था। जनार्दन नामक दूत को शीघ्र ही बिदा करके यादवेश्वर जनार्दन बोले- ‘अहो! हंस और डिम्भक की धृष्टता अद्भुत है, उनकी ढिठाई आश्चर्यजनक है’। उस समय माधवेश्वर माधव को नमस्कार करके
दूत जनार्दन सात्यकि के साथ शाल्वनगर को गये।
ब्रह्मवेत्ताओं में श्रेष्ठ धर्मात्मा ब्राह्मण जनार्दन वहाँ राजसभा में प्रवेश करके सात्यकि को एक महान् आसन देकर जब स्वयं भी उस श्रेष्ठ आसनपर उनके साथ सुखपूर्वक बैठ गये, तब उन्होंने हंस और डिम्भक से सात्यकिको मिलाया।
उस समय वे बोले – ‘राजन् ! यह सात्यकि द्वारका से दूत होकर आये हैं। ये भगवान् श्रीकृष्ण की दाहिनी भुजाके समान हैं।’ (सव्य’ शब्द को अर्थ बायाँ और दाहिना भी है। देखिये संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ)
जनार्दन की यह बात सुनकर हंस बोला – ‘पहले इसके समागम होने की बात सुनने में आयी थी, आज मुझे इसका दर्शन हो गया। हमने सुना है कि यह वीर सात्यकि वेद, धनुर्वेद, शास्त्र-विद्या और शस्त्र-विद्या में सदा निपुण एवं धीर है। अब हमारी दृष्टिपथ में आकर यह हम दोनों भाइयों को प्रीति प्रदान कर रहा है। सात्यके! वासुदेव श्रीकृष्ण और बलभद्र कुशलसे तो हैं न? उग्रसेन आदि सभी यादव सकुशल हैं न?’
तब सात्यकि ने मन्दस्वर में कहा- ‘जी हाँ! सब लोग सकुशल हैं।’ उस समय उनका मुख रोष से तमतमा उठा था। तदनन्तर बातचीत करने कुशल हंसने जनार्दन से कहा – ‘ब्रह्मन् ! क्या तुम चक्रधारी श्रीकृष्ण से मिले थे ? क्या हमारा अभीष्ट कार्य सिद्ध हुआ ? वहाँ का सब समाचार पूर्णरूप से बताओ, व्यर्थ समय न बिताओ’।
शेष अगले भाग में…