टी•एन•शेषन ने जो काम किया था
लोकतंत्र और अच्छा-शासन , जनता का अधिकार है ;
व्यक्तिनिष्ठ – अधिनायकवादी , उसका तिरस्कार है ।
जान – माल – सम्मान बचाना , जन्म – सिद्ध अधिकार है ;
हिंदू इससे क्यों वंचित हैं ? कारण भ्रष्टाचार है ।
ऊपर से नीचे बहती है , भ्रष्टाचार की ये गंगा ;
हिंदू ! इसकी करो सफाई , बच न पाये कोई नंगा ।
राजनीति के इस हमाम में , नहा रहे हैं होकर नंगे ;
गंदी-राजनीति भारत की , वोटर बनवाये अधनंगे ।
राजनीति की समझ नहीं है , नेता को ठीक से न जाना ;
खासतौर से हिंदू – वोटर , कभी नहीं नेता पहचाना ।
नेता के रूप में दुश्मन पाला , छुरा पीठ पर हरदम खाया ;
सबसे बड़ा जो दुश्मन उसका, उसको हृदय सम्राट बनाया ।
जातिवाद से हिंदू काटा , उसका हक म्लेच्छों में बाँटा ;
आरक्षण में भी डाका डाला , उसे भी म्लेच्छों ने लूटा ।
हिंदू में गद्दार बहुत हैं , टुकड़े पाकर पूँछ हिलाते ;
ये ही हैं सरकारी-हिंदू , मास्टर-स्ट्रोक वादी भी कहाते ।
इनमें भी जो बहुत गिर चुके , हुआ मानसिक-खतना है ;
यही तो हैं अब्बासी-हिंदू , पतन न जाने कितना है ?
हिंदू-धर्म के ये दुश्मन हैं , मर्यादाविहीन सारा जीवन है ;
पतन की हर सीमा ये लाघें , अय्याशी का गंदा जीवन है ।
इसी से हैं ये धर्म के दुश्मन , क्योंकि मर्यादा ही धर्म है ;
मर्यादा-पुरुषोत्तम हैं राम हमारे,अब्बासी-हिंदू तो अधर्म है ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म का जीवन , सुख-समृद्धि-शांति देता है ;
मोक्ष का मार्ग हमें बतलाता , जनम सफल कर देता है ।
पर जितने हैं कामी , क्रोधी, कायर ,कुटिल, महास्वार्थी ;
धर्म-सनातन इन्हें न भाता , इनका जीवन द्विअर्थी ।
खाने के दांत और हैं इनके , दिखने के कुछ और हैं ;
लफ्फाजी और जुमलेबाजी , चोर मचाये शोर है ।
चुनाव-प्रक्रिया करी प्रदूषित , ईवीएम को हैक कराया ;
टी एन शेषन ने जो काम किया था,वर्तमान ने इसे मिटाया ।
पर अब भांडा फूट चुका है , इसका जादू टूट चुका है ;
गला-कटाकर , जान-गंवाकर , हिंदू इसको समझ चुका है ।
हिंदू ने अब ठान लिया है , ई वी एम हटाना है ;
“एकम् सनातन भारत” लाकर , “राम-राज्य” को लाना है ।