कुदरत का समझो संदेश
सत्ता जाने से बहुत डर रहा , बहुत बड़ा ये भेद है ;
सर से लेकर पांव तलक तक , इसमें छेद ही छेद हैं ।
बहुत बड़ी फेहरिस्त है , इसके काले – कारनामों की ;
कमजोर नसें हैं जाने कितनी ? कामुकता के कामों की ।
सदा ही ये डरता रहता है , कोई भेद न खुल जाये ;
जाने कितने भेद हैं इसके ? अच्छा है सब खुल जायें ।
भला राष्ट्र का तब ही होगा , ऐसा मनहूस चला जाये ;
ग्रहण लगा है देश के ऊपर , बेहतर है कि टल जाये ।
भारत का दुर्भाग्य यही है , अब्बासी – हिंदू है जो नेता ;
कभी देश को कुछ न देता , इसे सदा ही लूटा करता ।
केवल झूठे-भाषण ही देता , लफ्फाजी व जुमलेबाजी ;
धर्मभ्रष्ट करता हिंदू को , हरदम करता धोखेबाजी ।
राम-मंदिर तक भ्रष्ट कर दिया,शास्त्र-विरुद्ध की प्राण प्रतिष्ठा ;
यही तो इसका एजेंडा है , नष्ट करे सब धर्म प्रतिष्ठा ।
सबसे बड़ा धर्म का दुश्मन , शत-प्रतिशत ये नकली हिंदू ;
हिंदू – धर्म नष्ट करने को , पैदा हुये ये अब्बासी – हिंदू ।
पाप से पैदा हुये हैं सारे , चरित्रहीन मक्कार हैं ;
महाकुटिल हैं महाधूर्त हैं , जन्मजात गद्दार हैं ।
भारतवर्ष नष्ट करने की , इनको मिली सुपारी है ;
अब्राहमिक यही एजेण्डा , पर अब इन्हीं की बारी है ।
पापों का फल मिल रहा इन्हें है , आपस में लड़ रहे ये देश ;
म्लेच्छ मिटेंगे इसी तरह से , कुदरत का समझो संदेश ।
विश्वयुद्ध अब निश्चित होगा , घड़ा पाप का फूटेगा ;
धर्मविरोधी सब मिट जायेंगे , धर्मनिष्ठ ही जीतेगा ।
धर्मनिष्ठ सारे बन जाओ , धर्म – सनातन में आओ ;
स्वार्थ ,लोभ ,भय ,लालच त्यागो , सत्य-मार्ग पर आ जाओ ।
सत्य-मार्ग दुनिया में केवल , धर्म-सनातन को जानो ;
जितने भी इस मार्ग के राही , लक्ष्य प्राप्ति उनकी मानो ।
लक्ष्यहीन बिल्कुल भी नहीं है , इस दुनिया में मानव-जीवन ;
पर ज्यादातर भटक रहे हैं , कर रहे नष्ट अपना जीवन ।
मोटी-मोटी बात ये समझो , “राम-राज्य” हमको पाना है ;
पहला-कदम यही है इसका , अच्छी-सरकार बनाना है ।
ऑंख खोल कर करो फैसला , भली भाॅंति हिंदू ! ये सोचो ;
सत्यनिष्ठ व चरित्रवान सरकार बने कैसे ? ये सोचो ।