विपुल रेगे। दक्षिण भारतीय सिनेमा की ग्रिप कुछ अलग तरह की होती है। इस ग्रिप में पारिवारिक चाशनी घुली होती है। पारिवारिक कहानियां वे डूबकर बनाते हैं। उनकी एक्शन-थ्रिलर फिल्मों में भी परिवार को जगह मिल जाती है। ‘वारिसु’ एक फैमिली फिल्म है। इस फैमिली फिल्म में एक्शन और कॉमेडी का मिश्रण संतुलित ढंग से डाला गया है। थलापति विजय का करिज्मा फिल्म की रीढ़ है। उनके करिश्मे से फिल्म धड़कती है। तमिल भाषा की इस फिल्म ने तेलुगु और हिन्दी पट्टी में भी उत्साहजनक स्टार्ट लिया है।
तमिल भाषा के शब्द ‘वारिसु’ का अर्थ होता है उत्तराधिकारी। एक बड़े बिजनेसमैन राजेंद्रन पलानी की व्यापारिक दुश्मनी ने उसे मुश्किल में डाल रखा है। उसके दुश्मन लगातार उसे चोट पहुंचा रहे हैं। राजेंद्रन के तीन बेटे हैं। इनमे से सबसे छोटा बेटा पिता के साथ नहीं रहता। परिवार बिखरा हुआ है। एक दिन फैमिली डॉक्टर राजेंद्रन को बताता है कि उसे एक गंभीर बीमारी है। राजेंद्रन के पास अधिक समय नहीं बचा है।
उसको अब भी अपने एंपायर को संभालने के लिए योग्य वारिस नहीं मिला है। निर्देशक Vamshi Paidipally की ‘वारिसु’ एक आम पारिवारिक फिल्म है, जो थलापति विजय के करिश्मे से रोशन होती है। स्क्रिप्ट ओके है लेकिन ट्रीटमेंट बहुत तगड़ा है। फिल्म का बेस इमोशनल है। एक पारिवारिक ड्रामा एक्शन के साथ पेश किया गया है ताकि विजय के लाखों प्रशंसक बोर न हो जाए। फिल्म को प्रशंसकों का ज़ोरदार रिस्पॉन्स मिला है।
अब तक फिल्म ने वर्ल्ड वाइड 200 करोड़ का कलेक्शन कर लिया है। इस समय तमिल पट्टी में ‘पोंगल’ पर्व का माहौल बना हुआ है और फिल्म की पृष्ठभूमि भी पारिवारिक है। सो इस कारण विजय की फिल्म को अतिरिक्त त्योहारी उछाल मिलता हुआ दिख रहा है। इस चार दिवसीय पर्व में रिलीज हुई फिल्मों को माइलेज अच्छा मिलता है। फिल्म में पारिवारिक इमोशंस बहुत स्ट्रांग रखे गए हैं।
थलापति विजय पारिवारिक भूमिकाओं के लिए फिट नहीं हैं लेकिन उन्होंने अपना काम फिर भी शानदार ढंग से निभा लिया है। रश्मिका मंदाना को अधिक फुटेज नहीं दिया गया है और न उनका कैरेक्टर स्ट्रांग रखा गया है। राजेंद्रन की भूमिका में आर.सरथकुमार ने बहुत वजनदार अभिनय किया है। प्रकाश राज का किरदार कमज़ोर है। कुल मिलाकर फिल्म विजय के कंधों पर सवार है।
फिल्म का क्लाइमैक्स इमोशनल होने के साथ सबक भी देकर जाता है। फिल्म का निचोड़ यही है कि पैसे से बढ़कर आपके लिए परिवार होना चाहिए। फिल्म में किसी तरह के आपत्तिजनक दृश्य नहीं है। इसे परिवार के साथ सहज ही बैठकर देखा जा सकता है। दक्षिण भारतीय फ़िल्में परिवार के लिए बनाई जाती है और यहीं उनकी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ भी होती है। आपके नज़दीकी सिनेमाघरों में ये फिल्म हिन्दी डबिंग के साथ दिखाई जा रही है।