जागो हिंदू ! अब तो जागो
क्यों मरा जा रहा सत्ता को ? क्या सत्ता तेरी बपौती है ?
सत्ता है साधन सेवा का , जो बिन सत्ता भी होती है ।
लगता कुछ और ही चक्कर है, जिसमें सेवा का भाव नहीं ;
मतलब है केवल मेवा से , देश से कोई लगाव नहीं ।
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