जीवन के किसी भी अनुभव से
कभी भयभीत मत होना।
क्योंकि जो भी भयभीत हो जाता है,
वह पक नहीं पाता,
वह समृद्ध नहीं हो पाता।
जीवन के सब रंग भोगो।
जीवन के सब ढंग जीओ।
जीवन के सारे आयाम
तुम्हारे परिचित होने चाहिए।
बुरा भी जानो,
भला भी जानो।
रातें भी और दिन भी।
बहार भी और पतझार भी।
और यही तो कठिनाई है कि
इतने थपेड़े झेलने को लोग राजी नहीं।
क्या कठिनाई है?
यही कि तूफान झेलने पड़ते हैं।
खड्डों में गिरना पड़ता है।
बहुत-बहुत बार भूल-चूकें करनी होती हैं।
बहुत-बहुत बार पछताना होता है।
सारे पश्चाताप,
भूलें, भ्रांतियाँ,
इन सबकी अग्नि में गुजर कर ही
तुम्हारा सोना कुंदन बनेगा…..
ओशो