नेता , अफसर , पत्रकार , जब भी विदेश में जाते ;
पत्नी – परिवार बिना जो जाते , हनीट्रैप हो जाते ।
अब्राहमिक की बड़ी ये साजिश , हिंदू को ही फंसाते ;
जगह-जगह हैं खुफिया-कैमरे , पूरे रिकॉर्ड हो जाते ।
बाद में इसका भय दिखलाकर , ब्लैकमेल वे करते ;
कठपुतली सा उन्हें नचाकर , उल्लू सीधा करते ।
शाहीन-बाग़ भी इसी से होते , कानून भी वापस होते ;
खुलकर वे कनवर्जन करते , ये तृप्तिकरण बढ़ाते ।
सरकारी-कब्जा हिंदू-मंदिर से , इसी से न हट पाता ;
मंदिर का धन लूट-लूट कर , जजिया में बंट जाता ।
भारत – राज्य व इसकी सत्ता , अब्राहमिक हाथों में ;
भारत की आजादी नकली , शासन घटिया हाथों में ।
भ्रष्टाचार के दलदल बन गये, भारत के जितने भी दल ;
देश का इनसे भला न होगा , नहीं है कोई भी काबिल ।
अंतिम मार्ग बचा अब केवल , एक नया दल लाओ ;
धर्म – सनातन सर्वश्रेष्ठ है , “हिंदू – राष्ट्र” बनाओ ।
चारों ओर घना अंधियारा , इसमें प्रकाश इक आया ;
“इकजुट-जम्मू” का सूर्योदय , अब जम्मू में छाया ।
जम्मू भारत का मस्तक है , कभी न झुकने देना ;
इकजुट-जम्मू , इकजुट-हिंदू , इकजुट-भारत ही लाना ।
अंकुर शर्मा अध्यक्ष हैं इसके , इसमें तेजी लायें ;
देश के हिंदू बाट जोहते , शीघ्रातिशीघ्र लेकर आयें ।
ये है भारत की अंतिम आशा , इसे टूटने मत देना ;
“इकजुट-भारत” को विजय दिलाकर, हिंदू-धर्म बचाना ।
हिंदू की आजादी ही तो , भारत की आजादी है ;
केवल अब्बासी-हिंदू के कारण, भारत की बर्बादी है ।
हिंदू – धर्म बचाना है , अब्बासी – हिंदू को भगाना है ;
हिंदू पूरी तरह से जागो , “इकजुट-भारत” को लाना है ।
“इकजुट-भारत” को सत्ता देकर, हर अन्याय मिटाना है ;
संविधान को बदलके पूरा , इसको आदर्श बनाना है ।
हिंदू-संविधान लेकर आना है , विधि का शासन होगा ;
सभी नागरिक एक बराबर , कोई विशिष्ट न होगा ।
पूर्ण स्वतंत्र जब हिंदू होगा , तब स्वतंत्र भारत को जानो ;
हिंदू-संहार रुकेगा तब ही , सौ प्रतिशत पक्का मानो ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”