हिंदू ही हिंदू का दुश्मन , जो सरकारी – हिंदू है ;
जिनका हुआ मानसिक खतना , ऐसे अब्बासी- हिंदू हैं ।
स्टॉकहोम – सिंड्रोम से पीड़ित , कायर व कमजोर हैं ;
महाभ्रष्ट , लोभी , स्वार्थी हैं , पूरे- पूरे चोर हैं ।
दोनों हाथों राष्ट्र को लूटें , हिंदू – मंदिर भी लूट रहे ;
मंदिर पर सरकारी- कब्जा , धन जजिया पर लुटा रहे ।
भरे हुये हैं राजनीति में , शिक्षा , मीडिया , बॉलीवुड में ;
हिंदू-धर्म से इनको नफरत , इनको रहना जेहादीवुड में ।
महामूर्ख कितने हैं हिंदू ? इन्हीं को अपना नेता माना ;
शाहीन-बाग जो हटा न पाते , रोड-जाम भी नहीं हटाना ।
कुछ तो इनकी गोट फंसी है , ब्लैकमेल हरदम होते हैं ;
इनके जीवन के अध्याय हैं काले,इसीसे ब्लैकमेल होते हैं।
हिंदू अपनी तजो मूर्खता , इनके नाटक पर न जाना ;
लफ्फाजी करने में माहिर , हिंदू को वोट-बैंक ही माना ।
अंदर से ये धर्म के दुश्मन, राष्ट्र के दुश्मन, देश के दुश्मन ;
इन्हें सुहाती अपनी पूजा , नोबेल-प्राइज का भी मन ।
इनका मन पूरा काला है , बाहर से चिकने – चुपड़े हैं ;
बहुत बड़े बेशर्म हैं सारे , पूरे – पूरे चिकने घड़े हैं ।
इन्हें चाहिये केवल सत्ता , कुत्सित इच्छा पूरी होती ;
कुत्सित इच्छा के कीड़े हैं , ये ही इनकी चाहत होती ।
अब हिंदू अनजान नहीं है , हिंदू सच्चाई जान रहा है ;
तृप्तिकरण करने वालों की , सारी हरकत देख रहा है ।
हिंदू का सौभाग्य जगाने , सोशल – मीडिया आया है ;
सच्चे – तथ्य जानकर हिंदू , अब पूरे होश में आया है ।
धूर्त और मक्कार जो नेता , अब न उनकी दाल गलेगी ;
सारे दल बन गये हैं दलदल, हिंदू-जनता अब नहीं फंसेगी ।
सौभाग्य का सूरज उदय हो रहा,अंधियारा अब हटके रहेगा
“इकजुट-जम्मू” उदय हो रहा “इकजुट-भारत” बन के रहेगा
हर हिंदू सहयोग करेगा , वरना हिंदू मिट जायेगा ;
“इकजुट-जम्मू” के आने से , अब्बासी- हिंदू पिट जायेगा ।
जितने भी अब्बासी- हिंदू , सब का नामोनिशां मिटेगा ;
धर्म – सनातन ही चमकेगा , भारत हिंदू – राष्ट्र बनेगा ।
आने वाले संसद चुनाव में , “इकजुट-भारत” को लाओ ;
हजार बरस की जो है गुलामी , हिंदू उससे मुक्ति पाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”