“अंकुर शर्मा” हैं “अर्जुन” इसके
देश फंसा है बड़ी-भँवर में , भीतर-बाहर हर तरफ है संकट ;
अब्बासी-हिंदू है देश का दुश्मन , बिछा रहा हर राह में कंटक ।
अच्छी-सरकारों को तरस रहा है , आजादी से अब तक देश ;
सत्ता-लोभी ही अब तक आये , छल-कपट से पाया जनादेश ।
लोकतंत्र झूठा भारत का , ये है पूरा भ्रष्टतंत्र ;
भ्रष्टाचार के इस दलदल में , डूब चुका है पूरा-तंत्र ।
अब तो स्थिति बहुत बुरी है , अब्बासी-हिंदू का काम है ;
छल-कपट से ये सम्राट बन गया , जब कि पूरा नाकाम है ।
अब्बासी-हिंदू कर रहा दिग्भ्रमित , हिंदू भ्रम में फंसा हुआ है ;
अपना भला-बुरा न सोचे , इस मीठे-जहर से डंसा हुआ है ।
अब्राहमिक – ग्लोबल – एजेंडा , अब्बासी – हिंदू मोहरा है ;
“ए सी वाई पी एल” की ट्रेनिंग , पूरा – दल गूंगा – बहरा है ।
तथाकथित हिंदूवादी दल , स्वार्थ में पूरा अंधा है ;
धर्म भी भूला , देश भी भूला , केवल सत्ता का धंधा है ।
सत्ता-लिप्सा में इस कदर है अंधा , जैसे हो अंधा – धृतराष्ट्र ;
इसके संगी – साथी कौरव , पतित कर रहा पूरा – राष्ट्र ।
इतनी अति कर रहे हैं ये सब , करवा देंगे दूसरा-महाभारत ;
पांडव-सेना भी तैयार हो रही, यही है “एकम् सनातन भारत”।
“अंकुर-शर्मा” हैं “अर्जुन” इसके ,“कृष्ण” बने “संदीप-देव” ;
“धर्म-सनातन” शक्ति है इसकी , निश्चित है जयते-सत्यमेव ।
हिंदू ! बनो धर्म के सैनिक , धर्म – युद्ध निश्चित होना है ;
सदा धर्म की विजय हुयी है , अब भी ये ही होना है ।
आम-चुनाव होने वाला है , धर्म-युद्ध इसको ही जानो ;
हर मोर्चे पर लड़ना होगा , तब अपनी जीत सुनिश्चित मानो ।
प्रमुख – मोर्चा “ई वी एम” का , सबसे पहले इसे हराओ ;
मतपत्रों से हर चुनाव हो , सुप्रीम-कोर्ट तक हिंदू ! जाओ ।
जब तक “ई वी एम” रहेगा , निष्पक्ष-चुनाव नहीं हो सकता ;
फिर तो अधर्म-युद्ध ही होगा , धर्म-युद्ध क्या हो सकता ?
सबसे बड़ा अवरोध यही है , निष्पक्ष-चुनाव कराने में ;
हिंदू ! पूरी – शक्ति लगा दो , “ई वी एम” हटाने में ।
“एकम् सनातन भारत” दल ही , सबसे पहला ये काम करे ;
भ्रष्टाचार का ये प्रतीक है , इसका काम तमाम करे ।
“अंकुर-शर्मा” अधिवक्ता हैं, कानून से कुछ भी हो सकता है ;
चुनाव-आयोग की चूलें कस दो, “ई वी एम” हट सकता है ।