राम-मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा
धर्म के द्रोही, दगाबाज हैं , भारत के दस-प्रतिशत हिंदू ;
यही सेक्युलर , वामी , कामी , चरित्रहीन अब्बासी-हिंदू ।
परम-कुटिल ये महा-स्वार्थी , धर्महीन मक्कार हैं ;
इन्हें धर्म से कुछ न मतलब , सब के सब गद्दार हैं ।
अपना स्वार्थ सिद्ध करने को , देश को भी नीलाम कर रहे ;
सारे कायर ,कमजोर, नपुंसक , जेहादी के गुलाम बन रहे ।
हिंदू का दुर्भाग्य सदा से , ऐसे नब्बे – प्रतिशत नेता ;
हिंदू की पीठ पे छुरा मारते , मजबूरी में हिंदू खाता ।
मरता क्या न करता हिंदू ? और नहीं था कोई चारा ;
जिसे बनाता अपना नेता , वही निकलता नाकारा ।
हजार-वर्ष से पिटते-पिटाते, अब जाकर सौभाग्य जग रहा ;
“एकम् सनातन भारत” दल आया,हिंदू-समाज को जगा रहा ।
हिंदू ! ज्ञान में जाग रहा है , धर्म – सनातन ही है ज्ञान ;
वो दिन भी जल्दी आयेगा , हटे दूर सारा अज्ञान ।
“परम श्रद्धेय शंकराचार्य जी” , धीरे-धीरे मुखर हो रहे ;
अब्बासी- हिंदू के अधर्म को , सबको खुलकर बता रहे ।
राम-मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा , शास्त्र-विरुद्ध जो होने वाली ;
हिंदू-जागरण की निमित्त बनेगी , धर्म-क्रांति होने वाली ।
अब्बासी-हिंदू मिट जायेगा , धर्म की ज्वाला भस्म करेगी ;
मृतवत जो समुदाय था हिंदू , प्राणों का संचार करेगी ।
धर्म – सनातन अजर – अमर है , हिंदू जीवन पायेगा ;
परम – योद्धा बनेगा हिंदू , अब न गर्दन कटवायेगा ।
अब्बासी-हिंदू की ही साजिश , हिंदू ! गर्दन कटवाता आया ;
अब ये साजिश नग्न हो गयी , हिंदू जाल से बाहर आया ।
बचे – खुचे जो दुर्दिन बाकी , वे भी अब लद जायेंगें ;
“ई वी एम” जब नहीं रहेगा , दुष्ट नहीं बच पायेंगें ।
हिंदू ! भीष्म-प्रतिज्ञा कर लो, निष्पक्ष-चुनाव सुनिश्चित करना ;
कमर कसे हर हिंदू – योद्धा , अब हमको न पीछे हटना ।
अब निर्णायक-समय आ चुका , जीवन-मरण का प्रश्न है ;
अभी नहीं तो कभी नहीं है , हल करना हर-प्रश्न है ।
धर्म , देश की यही मांग है , अच्छी – सरकार बनाना है ;
“एकम् सनातन भारत” दल की , धर्म-ध्वजा फहराना है ।
हिंदू-वादी सरकार बनेगी , हिंदू ! विश्व-विजेता होगा ;
“राम – राज्य” की महिमा से ही , पूर्ण-सुखी मानव होगा ।