वोटों के भूखे , भूखे – भेड़िये , हिंदू को खा जायेंगे ;
एकजुट वोट नहीं हिंदू का , इसी से मारे जायेंगे ।
हिंदू तुमको यदि बचना है , धर्म सुरक्षित करना है ;
एकजुट वोटों की ताकत से , जीत सुनिश्चित करना है ।
इसके लिये तुम्हें क्या करना ? ईको-सिस्टम पाना है ;
गांव-गांव में शहर-शहर में , जिले-जिले में लाना है ।
छोटी-छोटी बने इकाई , नाम रखो मतदाता – संसद ;
उत्तरोत्तर इसे बढ़ाओ , मुट्ठी में तुम कर लो संसद ।
सबसे छोटी मतदाता संसद , एक गांव की हो सकती है ;
गांव के सारे- हिंदू मिलकर , इसकी रचना हो सकती है ।
हर हफ्ते हो इसकी बैठक , चर्चा राजनीति पर करना ;
दृढ निश्चय इस बात का करना, एक भी हिंदू वोट न बंटना ।
इसीतरह से ब्लॉक की संसद,शहरकी संसद जिले की संसद
हर प्रदेश की और देश की , सभी जगह मतदाता-संसद ।
इनमें केवल सनातनी हो , जिम्मी-सेक्युलर बिल्कुल न हों ;
वामी – कामी , सरकारी – हिंदू व अब्बासी – हिंदू न हों ।
सनातनियों इन सबसे बचना , सब के सब मक्कार हैं ;
अब – तक हिंदू के जितने नेता , सौ में नब्बे गद्दार हैं ।
दृढ़ – संकल्प हो हर – हिंदू का , हिंदू – धर्म बचाना है ;
मतदाता – संसद के जरिये , कट्टर – हिंदू ही चुनना है ।
धर्मनिष्ठ हो , परम – साहसी , कट्टर – हिंदूवादी हो ;
किसी भी दल का या निर्दल हो , केवल हिंदूवादी हो ।
ऐसे प्रत्याशी को ही जिताना , मतदाता-संसद का कार्य हो ;
यदि कहीं नहीं ऐसा प्रत्याशी , तब नोटा अनिवार्य हो ।
नोटा ही ब्रह्मास्त्र हमारा , हिंदू – धर्म बचायेगा ;
इसी की दम पर वामी, कामी, जिम्मी,सेक्युलर जायेगा ।
यद मौत की नींद नहीं सोना है , हिंदू सोते से जग जाओ ;
मतदाता – संसद के जरिये , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”