
सनातन और खालसा का अलगाव दोनों के लिए विनाशकारी होगा- महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी
हर हर महादेव और सतश्री अकाल के जयघोष से गुंजा शिवशक्ति धाम डासना आज 23 जनवरी 2023 को शिवशक्ति धाम डासना में इतिहास पुनः जीवन्त हुआ, वर्तमान को एक नया आयाम मिला, भविष्य की संरचना हुई। सिक्खों का एक प्रतिनिधिमंडल शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद गिरि जी महाराज को मिलने और मानवता की रक्षा हेतु उनके प्रयासों का समर्थन करने शिव शक्ति धाम डासना आया।
सिक्खों के प्रतिनिधिमंडल से महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने कहा कि सनातनी और सिक्ख बिल्कुल सगे भाई है जिनसे आपस मे लड़ाई भी हो सकती है और मतभेद भी परन्तु हमारा भविष्य और हमारे शत्रु एक ही हैं।यदि हमारे मतभेदों के कारण हमारे शत्रु मजबूत हुए तो हमारी आनी वाली पीढ़ियों को सर्वनाश का सामना करना पड़ेगा।अगर ऐसा हुआ तो हमारे देवी देवताओं सहित सिक्खों के दस गुरुओ का नाम इतिहास से मिट जाएगा जिसके दोषी हिन्दू और सिक्ख दोनों होंगे।
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औपचारिक बातचीत के बाद लंगर हुआ और सिक्ख सनातन परंपरा पर बातचीत हुई।
सिक्ख प्रतिनिधिमंडल में बाबा बलदेव सिंह वला मुखी निहंग जत्थेबंधी तरना दल, नानकशाही संसार फाउंडेशन के अध्यक्ष सरदार सिंह माटा और सरदार रवि रंजन सिंह चेयरमैन झटका सर्टिफिकेशन अथॉरिटी ने भाग लिया। निहंग सतनाम सिंह अटारी वाला और जत्थेबंदी के अन्य सिंह भी शामिल हुए। धर्म रक्षा हेतु सिक्ख और सनातनी की सांझी रणनीति पर विचार हुआ व धरातल पर उतारने की योजना बनाई गयी। सिक्खों ने यति जी महाराज को पंजाब आने का निमंत्रण भी दिया। जिसे महाराज जी ने सहर्ष स्वीकार किया।
तरना दल ने यति महाराज की सुरक्षा पर चिंता जताई और यति महाराज जी की रक्षा के लिए निहंग गार्ड और डासना पर महाराज जी के लिए एक निहंग छावनी बनाने का प्रस्ताव दिया। निहंगों ने युवा युवतियों को तलवार बाजी, तीरंदाजी, घुड़सवारी इत्यादि सिखाने के लिए अपनी छावनी पर आमंत्रित भी किया और साथ में ही महाराज जी से अनुरोध किया यदि कुछ युवक-युवतियों आ
प्रशिक्षण हेतु भेजेंगे तो यह तरना दल का सौभाग्य होगा। निहंग जत्थेबंदी ने प्राचीन व लुप्त होते हुए शस्त्रों के महत्व पर भी बाबा जी से विचार विमर्श किया। अचूक परंतु दुर्भाग्य से लुप्त होती चक्र विधा के महत्व पर भी चर्चा हुई।
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