धर्म से पहले मजहब जानो , धोखा कभी न खाना है ;
धोखे का सिद्धांत है तकिया , पूरी तरह समझना है ।
कदम – कदम पर धोखेबाजी , कैसे भी काम बनाना है ;
पूरा बहिष्कार करना है उनका , पास न आने देना है ।
न कुछ खाना , न कुछ पीना , कपड़े तक नहीं सिलाना है ;
अपनी जान बचाना है , तो दूर – दूर ही रहना है ।
पूरी पूंछ है उनकी टेढ़ी , कभी न सीधा होना है ;
हिंदू भी अब तजै सिधाई , हमें भी टेढ़ा होना है ।
महामूर्ख हिंदू – नेता है , क ख ग तक न जाने ;
तकिया के फरेब में पड़कर ,शांति का मजहब उनको माने ।
एसपीजी की उन्हें सुरक्षा , हिंदू को मरवाते हैं ;
हिंदू – मंदिर तोड़ – तोड़ कर , धर्म नष्ट करवाते हैं ।
हिंदू का दुर्भाग्य सदा से , अच्छा नेता न पाया ;
बहुत बहादुर जिनको माना , उनको भी मादा पाया ।
हर हिंदू को बचना है , हिंदू को ही संभलना है ;
धर्म – सनातन की छाया में , एक नया दल लाना है ।
धर्म-निष्ठ हो सत्य-निष्ठ हो , परम- साहसी शूरवीर हो ;
मजहब को भी ठीक से जाने , कट्टर – हिंदू वीर धीर हो ।
जांच – परख कर नेता चुनना , अब न धोखा खाना है ;
तुम कगार तक पहुंच चुके हो , धक्के में गिर जाना है ।
तथाकथित हिंदूवादी दल , अपनी आत्मा बेच चुके हैं ;
अज्ञान का छाया घना अंधेरा , उसमें डुबकी मार चुके हैं ।
दो हजार चौबीस से पहले , हिंदू – दल तैयार करो ;
हर चुनाव को लड़कर जीतो , राष्ट्र का अब उद्धार करो ।
इसको अंतिम मौका समझो , जीना है या मरना है ;
कई देश हिंदू के दुश्मन , इन सबसे ही लड़ना है ।
इजरायल की तरह है लड़ना , हिंदू- धर्म बचाना है ;
अज्ञान दूर करके हिंदू का , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
शस्त्र – शास्त्र की पूरी शिक्षा , सच्चा- इतिहास जानना है ;
सोशल- मीडिया मदद कर रहा , अपना गौरव पाना है ।
मौत की नींद को हिंदू त्यागे , जीवन की जागृति पाना है ;
धर्म – सनातन पर चलकरके , हमको सब कुछ पाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”