राजनीति गंदी भारत की , पाखंडी मक्कार है ;
राष्ट्रनीति से बहुत दूर हैं , गद्दारों की यार है ।
जिम्मीवाद ही इनका मजहब , राष्ट्रधर्म से दूर हैं ;
झूठा – इतिहास ही पढ़ते – पढ़ाते , सच्चाई से दूर हैं ।
राष्ट्र के हित को नहीं मानना , .राष्ट्रद्रोह भी नहीं जानना ;
अपना – धर्म नहीं जाना है , मजहब भी न पहचाना ।
राष्ट्रप्रेम से इन्हें न मतलब , राष्ट्रद्रोह के धंधे हैं ;
राष्ट्र का हित ये देख न पाते , आंखों वाले अंधे हैं ।
इनका अज्ञान है इस सीमा तक , गजवायेहिंद भी न जानें ;
तुष्टीकरण को नित्य बढ़ाते , राष्ट्र तोड़कर ही मानें ।
भारत के जो मूल-निवासी , धर्म – सनातन अनुयायी ;
अस्सी प्रतिशत से भी ज्यादा , पर नहीं है कोई सुनवायी ।
जातिवाद को बढ़ा- बढ़ा कर , धर्म – सनातन को बांटा ;
फूट डाल कर राज कर रहे , इनको मारो वोट का चांटा ।
अल्पसंख्यकवाद का बढ़ता खतरा,राष्ट्र पड़ चुका संकट में ;
सारे हिंदू होश में आओ , जान तुम्हारी संकट में ।
जातिवाद को मिटा दो पूरा , धर्म – सनातन अपनाओ ;
हिंदू – धर्म बचाना है तो , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
दल सारे बन चुके हैं दलदल , एक नया दल जल्द बनाओ ;
कट्टर – हिंदूवादी दल हो , राष्ट्रप्रेम की अलख जगाओ ।
गंदी- राजनीति भारत की , इसको पूरी तरह मिटाओ ;
केवल राष्ट्र-नीति भारत में , पूरी तरह से अपनाओ ।
अंतिम विकल्प यही जीवन का , मानवता को बचायेगा ;
वरना सेक्युलर और जेहादी , मौत का मंजर लायेगा ।
दो ही मार्ग राष्ट्र के आगे , इनमें श्रेष्ठ को चुनना है ;
सर्वश्रेष्ठ बस यही मार्ग है , हिंदू – राष्ट्र ही बनना है ।
कमर को कस लें सारे हिंदू , सबको यही ठानना है ;
हर हालत में धर्म बचाना , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”